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रायपुर

एम्स में किडनी प्रत्यारोपण जल्द

३ विशेषज्ञ समेत ११ डॉक्टरों की टीम बनीं, नेफ्रालॉजिस्ट की ज्वानिंग के साथ किडनी इलाज का रास्ता खुला, किडनी प्रत्यारोपण में कम से कम ४ से ५ लाख रुपए होता है खर्च

रायपुरDec 06, 2019 / 11:23 am

abhishek rai

एम्स में किडनी प्रत्यारोपण जल्द

एम्स में किडनी प्रत्यारोपण जल्द

रायपुर. राजधानी के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के यूरोलॉजी विभाग में किडनी ट्रांसप्लांट की तैयारी होने लगी है। संभवत : जनवरी के पहले सप्ताह में यह शुरू हो जाएगा। नेफ्रोलॉजी और यूरोलॉजी के ३ विशेषज्ञों समेत ११ डॉक्टरों की टीम बनाई गई है। किडनी ट्रांसप्लांट के लिए लेप्रोस्कोपी, ओपन सर्जरी व अन्य उपकरणों तथा संसाधनों की खरीदी के लिए अधीक्षक ने डिप्टी डायरेक्टर (प्रशासनिक) को लिस्ट सौंप दी है। १५ दिसंबर तक यूरोलॉजी विभाग में सभवत: पहुंच जाएंगे। एम्स प्रबंधन का कहना है कि नेफ्रोलॉजिस्ट (किडनी फिजिशियन), यूरोलोजिस्ट (किडनी के सर्जन), पैथोलॉजिस्ट और अन्य प्रशिक्षण प्राप्त सहायकों उपलब्ध है। प्रदेश में किसी भी शासकीय अस्पताल में किडनी ट्रांसप्लांट की सुविधा नहीं है। सूत्रों का कहना है कि निजी अस्पताल में एक किडनी ट्रांसप्लांट के लिए 5 से 10 लाख रुपए तक खर्च वहन करना पड़ता है, जबकि एम्स में आयुष्मान योजना के तहत निशुल्क सुविधा मिलेगी। एम्स प्रबंधन किडनी ट्रांसप्लांट के लिए काफी दिनों से योजना बना रहा था लेकिन नेफ्रोलॉजिस्ट की कमी की वजह से संभव नहीं हो पा रहा था। हाल ही में डॉ. विनय राठौर ने बतौर नेफ्रोलॉजिस्ट विभागाध्यक्ष ज्वाइन किया है। यूरोलॉजी में पहले से ही एचओडी डॉ. दीपक विश्वाल और अमित आर शर्मा सेवाएं दे रहे हैं। नेफ्रालॉजी व यूरोलॉजी में ४-४ एसआर (सीनियर रेजीडेंट) पदस्थ हैं।
३०-३० बिस्तरों के होंगे दोनों विभाग
नेफ्रोलॉजी और यूरोलॉजी विभाग में दो ओटी है तथा वर्तमान समय में क्रमश: १२ और १४ बिस्तर फंशनल हैं। दोनों विभाग ३० बिस्तरों के लिए प्रस्तावित हैं। अधिकारियों का कहना है कि किडनी ट्रांसप्लांट शुरू होते ही बिस्तरों की संख्या बढ़ा दी जाएगी।
यह कर सकते हैं किडनी डोनेट
भारतीय प्रत्यारोपण अधिनियम के अनुसार, पत्नी, दादा-दादी, माता-पिता, सहोदर, बच्चे और निकट संबंधी किडनी डोनर कर सकते हैं। इनके लिए दस्तावेज को लेकर बहुत कम औपचारिकताएं हैं। लेकिन इन्हें स्वास्थ्य संबंधी सभी जांच से गुजरना पड़ता है। यदि डोनर कोई और है तो कानूनी नियमों को पूरा करना होता है, जिसमें थोड़ा समय लगता है। ऑपरेशन से पहले मरीज के रिश्तेदार और किडनीदाता के रिश्तेदारों की सहमति ली जाती है।
राज्य शासन से लेनी पड़ती है अनुमति
किडनी के मरीज और डोनर का राज्य अलग-अलग होने पर दोनों को दोनों ही राज्यों से अनुमति लेनी पड़ती है। ट्रांसप्लांट के पहले कई तरह के प्रमाण पत्रों के माध्यम से यह प्रमाणित करना पड़ता है कि उनके बीच किडनी का ट्रांसप्लांट बिना किसी लेन-देन के हो रहा है। प्रदेश में आवेदन पत्र की जांच के लिए फोरेंसिक, पैथालॉजी और मेडिसिन विभाग की एक कमेटी गठित है। यह कमेटी मरीज और डोनर की काउंसिलिंग कर अध्यक्ष कलक्टर के पास भेजती है। कलक्टर से मंजूरी मिलने के बाद किडनी ट्रांसप्लांट किया जाता है।
डिप्टी डायरेक्टर (प्रशासनिक) की मौजूदगी में ३ दिसंबर को बैठक हुई थी, जिसमें यूरोलॉजी और नेफ्रोलॉजी के विभागाध्यक्षों को १ माह के भीतर किडनी प्रत्यारोपण शुरू करने के लिए कहा गया है। दो ओटी उपलब्ध है। सिर्फ कुछ उपकरण मंगाए जाने हैं। उम्मीद है कि जनवरी के पहले सप्ताह में यह सुविधा शुरू हो जाएगी।
डॉ. करन पीपरे, अधीक्षक, एम्स रायपुर
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