मुठभेड़ में मारे गए अपने साथियों को याद करने के लिए माओवादी शहीदी सप्ताह मनाते हैं। इस दौरान मुठभेड़ में मारे गए लोगों की तस्वीर सहित पर्चे फेके गए हैं। इसी लोगों में दहशत फैलाने के लिए सड़कों पर बैनर भी सडकों पर लगाया गया है। इसमें पुलिस प्रशासन की ओर से चलाए जा रहे समर्पण नीति का विरोध किया गया है। वहीं माओवादियों के मूवमेंट को देखते हुए सीआरपीएफ और राज्य पुलिस ने जवानों को सतर्क रहने के निर्देश दिए गए हैं। शहीदी सप्ताह के दौरान ही माओवादी सर्वाधिक सक्रिय रहते हैं।
बैठक के इनपुट
शहीदी सप्ताह के दौरान माओवादियों द्वारा प्रभावित इलाके के ग्रामीण क्षेत्रों में सभाओं का आयोजन किया जाता है। इसके जरिए वह मारे गए साथियों को ग्रामीणों के बीच महिमा मंडित करते हैं। साथ ही स्थानीय लोगों को अपने संगठन से जोडऩे का प्रयास भी करते हैं। अंदरूनी इलाकों में बैठके बुलाए जाने के इनपुट भी मिले है। इसे देखते हुए जवानों को लगातार माओवादियों और ग्रामीणों के मूवमेंट पर नजर रखने के निर्देश दिए गए है। बता दें कि कोरोना संक्रमण को देखते हुए लॉकडाउन के चलते इस यात्री बसों और मालवाहक वाहनों की आवाजाही भी बंद है। इसके चलते अंदरूनी इलाकों में सन्नाटा पसरा हुआ है। लोग केवल पैदल और दोपहिया वाहनों के जरिए ही आवागमन कर रहे है। इसके चलते माओवादियों तक प्रत्येक जानकारियां पहुंच रही है।
फोर्स को बनाते है निशाना
शहीदी सप्ताह शुरू होने के पहले ही लगातार दो बार अटैक किए जाने के बाद से चौकसी बढ़ा दी गई है। मुखबिरों के माध्यम से जानकारी जुटाने के साथ ही संभावित स्थानों में गश्त कराई जा रही है। नारायणपुर के करियामेटा स्थित कैंप के पास ही माओवादियों ने हमला किया था। इसके चलते छत्तीसगढ़ आम्र्ड फोर्स के एक जवान के शहीद हो गया था। वहीं राजनांदगांव जिले से सटे महाराष्ट्र गढचिरौलीके रेगडी-कोटमी के रास्ते में फिट किए गए 10 किलो के बम को विस्फोट कर निष्क्रिय कर दिया गया। फोर्स के जवानों को निशाना बनाने के लिए इसे स्टील के एक बड़े डिब्बे में रखा गया था।
सतर्क रहने के निर्देश
माओवादियो के शहीदी सप्ताह को देखते हुए जवानों को सतर्क रहने के निर्देश दिए गए है। साथ ही सभी कैंपों की सुरक्षा भी बढ़ा दी गई है।
बिधानचंद्र पात्रा, प्रवक्ता सीआरपीएफ