संस्कृति विभाग के संचालक अनिल कुमार साहू ने बताया कि निरीक्षण में पाया गया कि उक्त प्रतिमा पुरातत्वीय कलाकृति है। यह कला-शैली की दृष्टि से लगभग 10वीं सदी के आसपास की ज्ञात होती है। प्रतिमा के सिरोभाग पर पांच फणों का प्रदर्शन विशेष रूप से प्रभावित करता है। इस प्रतिमा का स्पष्ट अभिज्ञान करने के लिए नगर के अन्य पुराविदों का सहयोग लिया जा रहा है। काले ग्रेनाइट प्रस्तर से निर्मित इस प्रतिमा के कुछ अंश में खंडित तथा क्षरित है। इस कलाकृति का समुचित रासायनिक उपचार और संरक्षण करने के पश्चात् दर्शकों के अवलोकन के लिए संग्रहालय में प्रदर्शित कर दी जावेगी।
संचालक साहू ने बताया कि महासमुंद जिले की पिथौरा थाना प्रभारी द्वारा ग्राम सरईटार के फिरतू कटेल जंगल में लावारिस स्थिति में पड़ी प्राचीन प्रतिमा को जब्त कर संचालनालय संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग को उक्त पुरावशेष के निरीक्षण, परीक्षण के लिए सूचित किया गया था। थाना प्रभारी की सूचना पर पुरातत्व विभाग के अधिकारियों के द्वारा 14 जनवरी 2020 को पिथौरा थाना में उक्त प्रतिमा का परीक्षण किया गया। परीक्षण तथा सुपुर्दनामा कार्यवाही पश्चात् इस प्रतिमा को पुरातत्व विभाग के अधिकारियों को सौंपी गई। जिसे प्रदर्शन के लिए संग्रहालय में लाया गया। संस्कृति संचालक ने थाना प्रभारी पिथौरा, कमला पुसाम द्वारा इस संबंध में किए गए प्रयास की सराहना की है।