जो परायों को भी अपना बना ले उसे जिनशासन कहते हैं
गुरुदेव ने कहा कि जो अपनों के साथ ही लड़ाई शुरू कर दे उसे महाभारत कहते हैँ। जो परायों से लड़कर अपने राज्य की स्थापन कर दे उसे रामायण कहते हैँ और जो परायों को भी अपना बना ले उसे जिनशासन कहते हैं। गुरुदेव ने कहा कि उनका एक छोटा-सा सूत्र है कि आपके घर में एक छोटा सा समवशरण बन जाए। तीर्थंकर के समवशरण में तो जन्मजात दुश्मन सांप और नेवले भी साथ बैठते हैं। धर्म कहता है कि दुश्मन को भी दोस्त बना लो। आप भी आज से यह संकल्प लें कि घर में सास, बहू या भाई-भाई का कोई झगड़ा नहीं होगा। यदि ऐसा करने में सफल हुए तो समझिए कि आपके घर में भी तीर्थंकर परमात्मा का समवशरण स्थापित हो गया है और जिस दिन हर घर में ऐसा समवशरण बन जाएगा उस दिन समस्त सृष्टि में जिन शासन की स्थापना होगी।
राजनेताओं की सोच चक्रवर्तियों जैसी नहीं
दुनिया में तीन तरह की व्यवस्था है। पहली वासुदेव की जो एक खंड पर राज करता है। अच्छे लोगों का समर्थन करता है और अच्छा बोलने वालों को बुरे लोगों से लड़ाता है। दूसरा चक्रवर्ती तो 6 खंडों पर राज करता है और सभी जगहों पर समान नियम-कानून व करंसी चलाता है। परंतु आज का शासन और राजनेताओं की सोच चक्रवर्तियों जैसी नहीं, इसलिए समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं।