5 अक्टूबर 2018 से निकले
जयदेव कोलकाता में एक जूट मिल में मजदूरी करते हैं। वे फुटबॉल प्लेयर भी रहे हैं। स्टेट लेवल तक पार्टिसिपेट भी किया है। 1988 में हादसे के बाद से वे रक्तदान के लिए प्रेरित करने वाले ग्रुप से जुड़ गए। उन्होंने बताया,1993 में वेस्ट बंगाल वालेंटरी ब्लड डोनर फोरम से जुड़े। तब से जागरुकता की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। यह साइकिल यात्रा भी इसी की कड़ी है। मैं जहां भी जा रहा हूं, लोकल ऑर्गेनाइजर मेरी ठहरने की व्यवस्था करते हैं। जयेदव अब तक झारखंड, बिहार, यूपी, उत्तराखंड, एमपी, दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र। छत्तीसगढ़ में वे राजनांदगांव, दुर्ग-भिलाई होते हुए रायपुर पहुंचे। अगला पड़ाव ओडिशा है। इसके बाद कोलकाता वापसी। अब तक ३६ बार रक्तदान कर चुके हैं। साइकिल यात्रा के दौरान ही गाजियाबाद में २५ नवम्बर को ब्लड डोनेट किया। रोजाना 50 से 60 किमी साइकिल चलाते हैं।
इधर, डॉ. नेरल की उम्र 59′ किया 111वीं बार रक्तदान
मेडिकल कॉलेज में माइक्रोबायलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. अरविंद नेरल की उम्र 59 वर्ष हो चुकी है। वे अब तक 111 बार ब्लड डोनेट कर चुके हैं। उनकी बेटी अपूर्वा ने नए तरीके से अपनी फस्र्ट मैरिज एनीवर्सिरी सेलिब्रेट की।
डॉ. नेरल ने बताया कि उनकी बेटी अपूर्वा और दामाद भार्गव मानसाटा ने अपनी पहली वर्षगांठ अनूठे अंदाज में मनाई। इस दौरान उन दोनों ने मिलकर रक्तदान किया और लोगों को ब्लड डोनेट करने के लिए आग्रह किया। इस तरह अपूर्वा ने 18वीं बार रक्तदान किया। अपूर्वा की मदर इन लॉ ऊषा मानसाटा जो 55 साल ही हैं। उन्होंने पहली बार रक्तदान किया। जामनगर से रायपुर आकर ब्लड डोनेट का हिस्सा बनीं। डॉ. नेरल के बेटे अरिंदम ने भी रक्तदान किया।
डॉ. ने बताया कि वे २१ की उम्र से ब्लड डोनेट कर रहे हैं। मेडिकल कॉलेज में इंटर्नशिप के दौरान गांव के लोग जब इलाज के लिए आते थे। उस वक्त खून नहीं मिलने से ऑपरेशन पोस्टपोंड करना पड़ता था। क्योंकि रिश्तेदार खून देने से डरते थे। लोगों में अवेयरनेस नहीं थी। एक बार एेसा केस आया कि ब्लड उसी वक्त देना था, मरीज की जान को खतरा था। डॉ. नेरल ने उन्हें ब्लड दिया और तबसे यह सिलसिला चला आ रहा है।