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रायपुर

अगले 4 माह की चुनौती: प्रदूषण से अस्थमा, ठंड से हृदयरोग और इस साल कोरोना महामारी है नई मुसीबत

– अक्टूबर से जनवरी तक खतरा:- चार महीने सतर्क रहें, हो सकता है कोरोना का प्रभाव कम हो जाए ।
– सूत्र- ठंड में कोरोना वायरस, अस्थमा और हृदयरोग जैसी गंभीर बीमारियों से बचाव को लेकर अभी तक विभाग की कोई रणनीति बनी ही नहीं। न चर्चा हुई।

रायपुरOct 11, 2020 / 01:46 am

CG Desk

Three killed by Corona in bhilwara

Three killed by Corona in bhilwara

रायपुर. प्रदेश में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या में अक्टूबर की शुरुआत से हल्की गिरावट दर्ज की जा रही है, मगर मौत के आंकड़े बढ़ते चले जा रहे हैं। अब जब ठंड के मौसम की दस्तक होने जा रही है। तापमान में गिरावट के साथ ही प्रदूषण का स्तर बढ़ेगा और इन दोनों के बीच कोरोना वायरस के और अधिक प्रभावी होने का अनुमान है। जैसा- दुनिया ने स्वाइन फ्लू और जीका वायरस के साथ देखा था। मगर, सक्रियता कितनी होगी, इसका अभी कोई आधार नहीं है। अब कोरोना वायरस, ठंड और प्रदूषण के चौतरफा हमले से कोरोना के साथ-साथ हृदयरोग और अस्थमा के मरीज बढ़ेंगे। अब इन खतरों के बीच बचकर दिन गुजारने होंगे।
कोरोना महामारी के दौर में 23 मार्च से लॉकडाउन लगा। बस, ट्रेन, प्लेन के पहिए थम गए। उद्योगों ठप पड़ गए। जिसकी वजह से प्रदूषण का स्तर बेहद नीचे आ गया। मगर, अब धीरे-धीरे सबकुछ पटरी पर लौट रहे है। जिससे हवा प्रदूषित होनी शुरू हो चुकी है। पहले कोरोना वायरस ने फेफड़ों को संक्रमित किया और अब प्रदूषित हवा फेफड़ों को और भी ज्यादा नुकसान पहुंचा सकती है। इसलिए विशेषज्ञ, डॉक्टर और खुद स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी मान रहे हैं कि आने वाले 4 महीने चुनौती भरे साबित होंगे। सूत्र बताते हैं कि ठंड में बीमारी से बचाव को लेकर अभी तक विभाग की कोई रणनीति तैयारी नहीं हुई है।
हमें इनके लिए सजग रहना है-
हृदय रोगी- ठंड में सबसे ज्यादा परेशानी 50 वर्ष से अधिक के व्यक्तियों। ठंड में हार्ट अटैक/या कॉर्डियक अरेस्ट के मामले 2-3 गुना तक बढ़ जाते हैं।

अस्थमा रोगी- ठंड में फेफड़ों की क्रियाशीलता कम होने लगती है क्योंकि प्रदूषण सीधे हमारे फेफड़ों को नुकसान पहुंचाता है। अभी से अस्पतालों और क्लीनिक में मरीज आने शुरू हो चुके हैं। अस्थमा के मरीज किसी भी आयुवर्ग के हो सकते हैं।
कोरोना रोगी- मार्च में शुरू हुई इस बीमारी ने छत्तीसगढ़ में मई, जून, जुलाई, अगस्त और सितंबर में हर बढ़ते महीने के साथ अपना अधिक प्रभाव दिखाया। आज मरीजों की संख्या 1.37 लाख के पार जा पहुंची है। 1200 लोग जान गवां चुके हैं। यह बीमारी हर आयुवर्ग के लिए खतरनाक साबित हो रही है।
ठंड में सांस की बीमारी हावी-
निश्चित तौर पर ठंड में सांस संबंधी बीमारियों के मरीजों की संख्या बढ़ जाती है। हर साल इसकी वजह रायपुर का प्रदूषण होता है। और इस साल कोरोना वायरस का अटैक भी है। जिसमें भी सांस की समस्या प्रमुख लक्षण पाया जा रहा है। ऐसे में बहुत ज्यादा सतर्कता बरतने की आवश्यकता है। खासकर बुजुर्गों को लेकर।
(- डॉ. आरके पंडा, विभागाध्यक्ष, टीबी एंड चेस्ट, डॉ. भीमराव आंबेडकर अस्पतला के अनुसार)
कोरोना पर कोई अनुमान नहीं-
वायरस ठंड में अन्य मौसम की तुलना में ज्यादा सक्रिय होते हैं। यह नया वायरस है, जिसके बारे में अभी कोई अनुमान नहीं लगाया जा सकता। गर्मी में भी यह प्रभावी रहा, जबकि गर्मी में वायरस निष्क्रिय हो जाते हैं। अब ठंड में सब हमारी इम्युनिटी पर निर्भर रहेगा। अगर, रोग प्रतिरोधक क्षमता अच्छी होगी तो हम इससे लड़ पाएंगे।
(- डॉ. अरविंद नेरल, विभागाध्यक्ष, विभागाध्यक्ष, माइक्रोबायोलॉजी, पं. जेएनएम मेडिकल कॉलेज रायपुर के अनुसार)
कोर कमेटी की बैठक में नहीं बैठाए जा रहे विशेषज्ञ
कोरोना महामारी से निपटने के लिए राज्य सरकार ने कोरोना कंट्रोल एंड कमांड सेंटर की स्थापना की थी। जिसका मुख्यालय सर्किट हाउस रायपुर को बनाया गया था। कोर कमेटी ने स्वास्थ्य, पुलिस, नगरीय निकाय के आला अधिकारियों के साथ-साथ चिकित्सा विशेषज्ञों का पैनल भी होता था। जो कोर कमेटी के अहम सदस्य थे। तत्कालीन स्वास्थ्य सचिव निहारिका बारीक रोजाना इनकी बैठक लेकर कोरोना नियंत्रण की नीति बनाती थीं। मगर, अभी सिर्फ ४ शीर्ष अधिकारी ही बैठक में शामिल होते हैं। चीजें तय करते हैं। बीते कई हफ्तों से एक्सपर्ट को शामिल नहीं किया जा रहा है। जिसे लेकर इनकी नाराजगी भी है। इसलिए ये बुना बुलाए कंट्रोल रूम नहीं जा रहे।
अभी रोजाना 20-30 हजार के बीच टेस्टिंग हो रही है। आगे भी यह गति जारी रहेगी। ऑक्सीजन युक्त बेड और अस्पतालों में ऑक्सीजन प्लांट को लेकर काम जारी है।
डॉ. सुभाष पांडेय, प्रवक्ता एवं संभागीय संयुक्त संचालक, स्वास्थ्य विभाग
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