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रायपुर

स्थानीय किस्मों के बीजों को सहेजने हेतु आरंभ हुआ बिहन बैंक

बलरामपुर में महिला समूहों द्वारा चलाया जा रहा है यह बैंक

रायपुरJan 21, 2020 / 07:05 pm

lalit sahu

स्थानीय किस्मों के बीजों को सहेजने हेतु आरंभ हुआ बिहन बैंक

बहुत ही अल्प समय में यह बैंक किसानों के बीच में अपनी अलग पहचान बना लिया है।

रायपुर. बलरामपुर जिले के कृषकों को समय पर बीज उपलब्ध कराने के उद्देेश्य से बिहन (बीज) बैंक की स्थापना की गई है। जहां कर्ज के रूप में देशी किस्मों के बीज किसानों को दिया जाता है जिसके एवज में कोई शुल्क नहीं लिया जाता, बल्कि फसल उत्पाद के बाद किसानों को डेढग़ुना बीज वापस करना होता है। बहुत ही अल्प समय में यह बैंक किसानों के बीच में अपनी अलग पहचान बना लिया है।

स्थानीय किस्मों के बीज विलुप्ती की कगार पर
कृषकों में जलवायु परिवर्तन के कारण समय के साथ परम्परागत खेती में बदलाव देखा जा रहा था। कृषक वर्तमान में नए बीजों का प्रयोग बड़े पैमाने पर करनें लगे हैं, जिसमें बरसों से चली आ रही स्थानीय किस्मों के बीज विलुप्त होने के कगार पर हैं। खेतों में उर्वरता और फसलों में विविधता तथा स्थानीय किस्मों के बीजों को संरक्षण करने हेतु कलेक्टर संजीव कुमार झा ने जिले में बिहन बैंक स्थापना पर जोर दिया। कृषि परम्परागत को सहेज कर संस्थागत रूप दिए जाने की मंशा से ही बिहन बैंक की स्थापना कर विभिन्न देशी किस्मों के बीजों को संग्रहित किया जा रहा है। बिहन बैंक से किसानों को ऐसे बीज प्रदान किए जा रहे हैं जो कभी आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र की पहचान हुआ करते थे, लेकिन हाईब्रिड खेती के इस दौर में किसान उन फसलों का नाम तक भूलते चले जा रहे थे। कलेक्टर संजीव कुमार झा के निर्देशानुसार उप संचालक कृषि के मार्गदर्शन में विलुप्त होती जा रही स्थानीय देशी बीजों का संग्रहण करने के लिए जिले के सभी विकासखण्डों में शुरू किया गया तथा बिहन बैंक की स्थापना की गई। बिहन बैंक का संचालन राष्ट्रीय ग्रामीण अजीविका मिशन के तहत महिला स्व सहायता समूहों द्वारा किया जा रहा है। कृषकों के मध्य बिहन बैंक का प्रचार-प्रसार बहुत ही तेजी से किया जा रहा है।

अन्य जिलों के कृषक भी बिहन बैंक को देखने आ रहे हैं
विकासखण्ड राजपुर के ग्राम पंचायत बरियों में संचालित बिहन बैंक में विभिन्न प्रकार की अनाज फसलें जैसे धान में करहनी, छिन्दमोरी, कालजीरा, गोड़ा, अमन तथा लघु धान्य फसलें जैसे-कोदो, कुटकी, रागी, मडुवा आदि अन्य दलहनी एवं तिलहनी फसलें जैसे-अरहर, चैती अरहर, माघी अरहर, लोटनी (तोरिया), बेदाम (मुंगफली), खेसारी, कुल्थी, मसरी, ***** (चना), सरसों (लाल,पीला,छोटी,बड़ी,काला,सफेद) आदि। साग सब्जियों में भी संरक्षित किया गया है, जैसे- लउवा, भूरा कोहड़ा, झिन्गी, तोरई, सेमी, बोदी, मिर्च, टमाटर, लाल साग, मुनगा, धन मिचाई आदि। ग्राम बरियों में संचालित बिहन बैंक अल्प समय में ही आसपास के कई गांवों के किसानों के लिए लाभकारी साबित होने लगा है। इस प्रकार उन्नत खेती कर क्षेत्रीय किस्मों के संरक्षण कर आर्थिक रूप से पिछड़े हुए कृषकों द्वारा फसल लेकर अपना सामाजिक आर्थिक उन्नति करते हुए कुपोषण से बचाया जा रहा है। अन्य जिलों के कृषक द्वारा बिहन बैंक को देखने हेतु आ रहे हैं, इससे स्व सहायता महिला समूहों में जागृति उत्पन्न हो रही है।

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