राष्ट्रीय कार्यकारिणी से बदले समीकरण
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष साय ने अपनी नियुक्ति के बाद सबसे पहले जिलाध्यक्षों की नियुक्ति का सिलसिला शुरू किया था। इसके बाद भी आज तक रायपुर ग्रामीण, दुर्ग और भिलाई में जिलाध्यक्षों की नियुक्ति नहीं हो सकी है। वहीं दूसरी और नई राष्ट्रीय कार्यकारिणी की नियुक्ति के बाद समीकरण बदले हैं। इसके अलावा कुछ वरिष्ठ नेताओं का राष्ट्रीय कार्यकारिणी में जाने का सपना भी अधूरा रह गया है। इसका फायदा साय को मिल सकता है। पिछले दिनों राज्यसभा सांसद रामविचार नेताम के समर्थकों ने साय के लिए परेशानी भी खड़ी कर दी थी।
सत्ता नहीं संगठन में जाने दवाब
भारतीय जनता पार्टी प्रदेश में 15 साल तक सत्ता में रही है। इस दौरान बहुत से नेता और कार्यकर्ता उपकृत हुए है। लंबे समय तक सत्ता का स्वाद चखने वाले नेता सत्ता से बाहर होने पर थोड़े विचलित है। ऐसे नेता अब संगठन में अपना स्थान बनाने के लिए प्रयासरत है। इसमें महामंत्री के पद को लेकर सबसे अधिक खींचतान दिखाई दे रही है। इसके अलावा संगठन महामंत्री के पद को भी अहम माना जा रहा है। चर्चा है कि नई कार्यकारिणी में संगठन महामंत्री पवन साय की जगह दूसरे को मौका मिल सकता है।
मोर्चा-प्रकोष्ठों के लिए भी जोर आजमाइश
प्रदेश कार्यकारिणी के साथ ही मोर्चा-प्रकोष्ठों की भी घोषणा होनी है। इसके लिए भी कई वरिष्ठ नेताओं के नाम सामने आ रहा है। सबसे ज्यादा नाम भाजपा महिला मोर्चा और युवा मोर्चा के लिए है। इसमें वरिष्ठ नेता अपने-अपने समर्थकों को देखना चाहते हैं, लेकिन राष्ट्रीय कार्यकारिणी के बाद बदले परिदृश्य से साफ है कि ज्यादातर नियुक्तियां राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री सौदान सिंह और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. रमन सिंह की पसंद की होगी।