रेडक्रॉस मेडिकल स्टोर में 2400 रुपए में उपलब्ध यह इंजेक्शन अन्य दवा दुकानों में दोगुने से ज्यादा रेट में बेचा जा रहा है। अस्पतालों में 7-8 हजार तक वसूले जा रहे हैं। कोरोना मरीजों की मौतों के बढ़ते आंकड़े से डरे लोग अपनों को बचाने के लिए सबकुछ दांव पर लग रहे हैं। इसी का फायदा उठाकर निजी अस्पताल और दवा दुकानदार आपदा को अवसर में बदलने में लगे हैं। हालांकि अस्पताल प्रबंधन इसे लगवाने से पहले लिखवा रहे हैं कि ये एक्सपेरिमेंटल है। वहीं नियंत्रण करने वाली संस्था एफडीए कह रही है कि शिकायत करें। जांच कर करवाई करेंगे।
‘पत्रिका’ ने इस इंजेक्शन को लेकर रायपुर के थोक दवा बाजार, मेडिकल स्टोर और रेडक्रॉस स्टोर में पहुंचकर पड़ताल की। दवा दुकानों में 4700 से 5400 एमआरपी पर इंजेक्शन बेचे जा रहे हैं। मेडिकल स्टोर भी स्टॉक नहीं है, कहकर जरूरतमंदों को लौटाकर जमाखोरी करने में लगे हैं। सबसे ज्यादा लूट निजी अस्पतालों में है। यहां भर्ती 70-75 प्रतिशत मरीजों को डॉक्टर रेमडेसिवीर इंजेक्शन प्रिस्क्राइव कर रहे हैं। जो अस्पताल से ही दिए जा रहे हैं। सूत्र बता रहे हैं कि दाम भी 6 हजार से 8 हजार तक लिए जा रहे हैं। अस्पतालों का बिल डेढ़-दो से लेकर सवा 2 लाख तक बन रहा है। दवा विक्रेताओं का कहना है कि आने वाले दिनों में मांग की वजह से दाम भी बढ़ सकते हैं। रेडक्रॉस में स्टॉक सीमित : रेडक्रॉस मेडिकल स्टोर में 2400 में रुपए एक इंजेक्शन उपलब्ध है, इसके बारे में ज्यादा लोगों को जानकारी नहीं है। हालांकि यहां स्टॉक सीमित है। नए स्टॉक में इंजेक्शन के दाम अधिक होने के संकेत मिले हैं।
मरीज को लगते हैं 6 इंजेक्शन : कोरोना मरीज को हर दिन एक, लगातार 6 दिन तक इंजेक्शन लगाए जाते हैं। इनकी एमआरपी 34500 रुपए है। इंजेक्शन से मरीजों में सुधार देखा जा रहा है।
डीपीसीओ में नहीं ये इंजेक्शन, इसलिए लूट : राज्य खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग (एफडीए) के मुताबिक अभी इन इंजेक्शन को ड्रग प्राइस कंट्रोल ऑर्डर (डीपीसीओ) में इसे अभी शामिल नहीं किया है। मगर, केंद्र ने सभी राज्यों के एसडीएम को निगरानी रखने के निर्देश दिए हैं। इसलिए जिला ड्रग इंस्पेक्टर स्टॉक की जांच कर रहे हैं।
महीनेभर से इंजेक्शन की मांग काफी बढ़ी है। हम आपूर्ति नहीं कर पा रहे हैं। 3 जिलों में ही रोजाना 600 से 800 इंजेक्शन तक खपत हो रही है। अश्विनी विज, सचिव, दवा विक्रेता संघ, रायपुर
रेमडेसिवीर इंजेक्शन को अभी बीजेपी में शामिल नहीं किया गया है। मगर, कोई भी दवा दुकानदार एमआरपी से अधिक पैसा नहीं ले सकता। अगर, कोई ले रहा है तो हमें शिकायत करें। हिरेन पटेल,सहायक औषधि आयुक्त, राज्य खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग