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रायपुर

Shikshakarmi Civilian: शिक्षाकर्मियों के लिए बड़ी खबर, जून के इस तारीख तक संविलियन पर होगा अंतिम फैसला

शिक्षाकर्मियों की मांग है कि संविलियन के साथ-साथ उनकी वेतन विसंगति का भी निराकरण भी किया जाए

रायपुरJun 02, 2018 / 11:54 am

चंदू निर्मलकर

CG News

शिक्षाकर्मियों के लिए बड़ी खबर, जून के इस तारीख तक संविलियन पर होगा अंतिम फैसला

रायपुर . संविलियन की चर्चाओं के बीच शिक्षाकर्मियों को वेतन विसंगति के निराकरण नहीं होने का भय सता रहा है। 2013 में हुई वेतन विसंगति की वजह से प्रदेश के शिक्षाकर्मियों को मध्यप्रदेश की तुलना में हर माह 7 से 10 हजार तक का नुकसान हो रहा है। शिक्षाकर्मियों की मांग है कि संविलियन के साथ-साथ उनकी वेतन विसंगति का भी निराकरण भी किया जाए, जिससे शिक्षाकर्मियों की आर्थिक स्थिति और मजबूत हो सकें।
शिक्षाकर्मियों के मुताबिक 2013 में जब वेतन वृद्धि की गई थी, तो इसमें कई सारी विसंगतियां थीं। शिक्षाकर्मी से विसंगतियों को दूर करने के लिए भी सरकार पर लगातार दबाव बना रहे हैं। इसके बाद भी इन विसगतियों को दूर करने के लिए अब तक कोई ठोस पहल नहीं की गई है। इससे शिक्षाकर्मियों को हर माह आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। शिक्षाकर्मियों के मुताबिक मध्यप्रदेश में शिक्षाकर्मियों को आवास, महंगाई और चिकित्सा भत्ता भी दिया जाता है। जबकि छत्तीसगढ़ में इन भत्तों को बंद कर दिया गया है। शिक्षाकर्मियों को उम्मीद है कि संविलियन से पहले सरकार इन वेतन विसंगतियों को दूर करने के लिए भी प्राथमिकता से काम करेगी।

दो कैडर पर आपत्ति
मध्यप्रदेश में शिक्षाकर्मियों के संविलियन पर सहमति तो बन गई है, लेकिन वहां संविलियन के बाद एक अलग कैडर बनाया जा रहा है। इससे प्रदेश के शिक्षाकर्मियों सही नहीं मान रहे हैं। शिक्षक पंचायत नगरीय निकाय मोर्चा के प्रांतीय संचालक संजय शर्मा का कहना है कि दो कैडर होने से फिर शिक्षकों और शिक्षाकर्मियों के बीच भेदभाव की स्थिति बनेगी। उनका कहना है कि छत्तीसगढ़ में संविलियन करते समय इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए।

नियम है पर पालन नहीं
शिक्षाकर्मियों का कहना है कि सरकार ने शिक्षाकर्मियों के हित में कई फैसले लिए है, लेकिन उनका क्रियान्वयन नहीं हो रहा है। शिक्षाकर्मियों को प्राथमिक शाला में प्रधानपाठक के पद पर पदोन्नति देने का फैसला लिया गया था। इसके लिए 2008 में राजपत्र में नियम भी प्रकाशित हुआ था। बलौदाबाजार में इसके लिए बकायदा भर्ती परीक्षा ली गई थी। भ्रष्टाचार का आरोप लगने के बाद इस दिशा में कोई पहल नहीं हुआ। इसी प्रकार मई 2013 में मंत्रिपरिषद की बैठक में शिक्षाकर्मियों के हित में हुए फैसले का पालन नहीं हो पा रहा है।

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