जांच के दौरान वास्तविकता सामने आने के बाद पूरे वाहनों को ब्लैकलिस्ट कर इसके संचालन पर रोक लगा दी। अपर परिवहन आयुक्त दीपांशु काबरा ने मामले की गंभीरता को देखते हुए विभागीय अधिकारियों को मामले की जांच करने के निर्देश दिए है। साथ ही पूरे मामले की फाइल जल्दी ही पेश करने की हिदायत दी है। बताया जाता है कि नियमों को ताक पर पंजीयन करने और वाहन मालिक के हाइकोर्ट चले जाने से मामले ने तूल पकडऩा शुरू कर दिया था। लेकिन विभागीय फेरबदल के चलते मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया था।
यह है मामला रायपुर के शंकर नगर स्थित जय अंबे इमरजेंसी सर्विस प्राइवेट लिमिटेड द्वारा जुलाई 2020 में फोर्स कंपनी के 10 एंबुलेस खरीदी गए थे। 35 सीटर की क्षमता वाले सभी बस बीएस-4 मानक वाले थे। सुप्रीम कोर्ट ने 31 मार्च 2020 के बाद इनके खरीद-फरोख्त और पंजीयन पर रोक लगाई है। साथ ही सख्ती से इसका पालन करने के निर्देश दिए है। लेकिन जुलाई 2020 में खरीदे गए वाहनों का मार्च 2020 में जगदलपुर आरटीओ द्वारा पंजीयन किया गया। वहीं दस्तावेज अगस्त में रायपुर आरटीओ को भेजे गए थे।
हाईकोर्ट ने फटकार लगाई हाइकोर्ट ने फर्जीवाड़ा करने पर परिवहन विभाग को जमकर फटकार लगाई। साथ ही कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी किस आधार पर वाहनों का पंजीयन किया गया। 30 दिन में इसका परिवहन विभाग निराकरण करें। हाइकोर्ट के निर्देश पर पूरे मामले की जांच करने के बाद 16 दिसंबर को पंजीयन निरस्त कर दिया गया है। बता दें कि केंद्रीय परिवहन विभाग के निर्देश पर वाहनों के पंजीयन, टैक्स और रजिस्ट्रेशन नंबर आनलाइन दिया जाना है। वाहन के दस्तावेज गलत और मानक क्षमता के अनुरूप नहीं होने पर वाहन-4 साफ्टवेयर इसे अमान्य कर देता है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद बीएस-4 वाहनों को डीलरों द्वारा वापिस कंपनियों में भेज दिया गया है।
परिवहन अपर आयुक्त दीपांशु काबरा ने बताया कि फर्जी तरीके से बीएस-4 वाहनों का रजिस्ट्रेशन करने की जानकारी मिली है। इस पूरे मामले की जांच करने के बाद आरोप तय किया जाएगा। साथ उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।