सुरक्षा के इंतजाम हों
औद्योगिक स्वास्थ्य एवं सुरक्षा विभाग की जांच में सुरक्षा में बड़ा खामी सामने आई
प्रदेश के औद्योगिक तीर्थ भिलाई में सप्ताहभर के भीतर दो ऐसी घटनाएं घटी जो लचर सुरक्षा व्यवस्था को उजागर करता है। दोनों घटना में 24 लोगों की जान चली गई और 13 घायलों को इलाज चल रहा है। पहली घटना एशिया के सबसे बड़े इस्पात कराखाना भिलाई स्टील प्लांट में घटी। गैस पाइप लाइन फटने से 23 कर्मचारी झुलस गए। जिसमें 14 कर्मचारियों की मौत हो गई। औद्योगिक स्वास्थ्य एवं सुरक्षा विभाग की जांच में सुरक्षा में बड़ा खामी सामने आई। उद्योगों में शून्य दुर्घटना के लक्ष्य का सिर्फ ढिंढोरा पीटने से काम नहीं चलेगा। मानव जीवन की सुरक्षा के सभी उपाय करना भी जरूरी है। जोखिमपूर्ण काम की जगहों पर तो यह और जरूरी हो जाता है। वैश्विक प्रतिस्पर्धा के दौर में काम का दवाब रहता है पर सुरक्षा की अनदेखी नहीं होना चाहिए। इसी कारखाना में चार साल पहले भी जहरीली गैस का रिसाव हुआ था। इसके बाद सुरक्षा को सर्वोपरि का खूब ढिंढोरा पीट गया। सुधार के बड़े-बड़े दावे किए गए पर पाइप लाइन फटने की घटना से हकीकत सामने आ गया। अब जांच दर जांच चलेगी। जांच के बाद क्या हुआ किसी को पता नहीं चलेगा। जिम्मेदार थाने से मुचलके पर छूट जाएंगे।
दूसरी घटना में एक ही परिवार के 9 लोगों की मौत हो गई। ये सड़क हादसे के शिकार हुए थे। नवरात्रि के मौके पर डोंगरगढ़ यात्रा के लिए पूरा परिवार हंसते खिलखिलाते रवाना हुआ था। राजनांदगांव रोड पर सोमनी के पास ये सभी सड़क पर असुरक्षा के शिकार हो गए। पदयात्रियों की भीड़ के बावजूद प्रशासन और पुलिस ने सुरक्षा के नाम पर पूरा नेशनल हाइवे को असुरक्षित कर दिया था। इसी असुरक्षा में एक परिवार तबाह हो गया। एक मासूम के सिर से माता-पिता का साया उठ गया। एक वृद्ध दंपती का इकलौता बेटा मर गया। सिर्फ सड़क पर सुरक्षा का इंतजाम न होने की वजह से। असल में पूरा सरकारी तंत्र ही अनियंत्रित और असंयमित हो चला है। इसमें सुधार की जरूरत है। यह सुधार जितनी जल्दी हो उतना ही अच्छा होगा, नहीं तो सड़कों पर लोग जान गंवाते रहेंगे। विडम्बना है कि जिनकी जिम्मेदारी सड़क पर व्यवस्था बनाने की होती है वे चौक-चौराहों पर खड़े होकर सिर्फ चालान काटने में व्यस्त रहते हैं। लिहाजा, सड़क सुरक्षा नियमों का उल्लंघन करने और कर्तव्यहीनता व लापरवाही बरतने वालों को सख्त सजा मिलनी चाहिए।