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रायपुर

हवा में घुलते कार्बन के कणों ने कम की प्रदेशवासियों की 3 वर्ष 8 महीने की जिंदगी

रायपुर में 4.8 वर्ष और दुर्ग में 5.7 वर्ष उम्र कम जी रहे लोग, अमेरिका की शोध संस्था ‘एपिकÓ के विश्लेषण से खुलासा

रायपुरNov 22, 2019 / 12:47 am

mohit sengar

Air Pollution: जानिए किस मामले में दिल्ली से आगे पहुंच सकता है वापी

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रायपुर।छत्तीसगढ़ की हवा में सांस लेने वाले लोग अपनी औसत उम्र से ३ वर्ष ८ महीने कम जी रहे है। रायपुर में कार्बन युक्त हवा ने ४ वर्ष ९ महीने और दुर्ग में कार्बन युक्त हवा ने ५ वर्ष ७ महीने की उम्र कम कर दी है। इस बात का दावा हम नहीं बल्कि अमेरिका की शोध संस्था ‘एपिकÓ (एनर्जी पॉलिसी इंस्टीट्यूट एट दी यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागों) द्वारा तैयार गुणवत्ता जीवन सूचकांक (एयर क्वालिटी लाइफ इंडेक्स) का नया विश्लेषण दर्शाता है।
प्रदेश के पर्यावरणविदों ने भी इस बात की पुष्टि की है। छत्तीसगढ़ के वायुमंडल में पीएम १० की मात्रा बढऩे से प्रदेशवासियों की औसत आयु कम हो रही है। ० से ५० पीएम १० तक की मात्रा को अच्छी हवा की श्रेणी में पर्यावरणविदों ने रखा है।
वायु प्रदूषण का असर छत्तीसगढ़ के इन जिलों में भी
हवा में कार्बन के कण की मात्रा औसत से ज्यादा होने की वजह से रायपुर और दुर्ग के अलावा बेमेतरा, बलौदाबाजार, राजनांदगांव और बालोद में लोग की औसत आयु कम हुई है। आंकड़ों के अनुसार इन जिलों के रहवासी की आयु में 4 वर्ष ४ माह, ४ वर्ष ३ माह और ४ वर्ष १ माह की कमी आई है।
दुर्ग और रायपुर में समय से पहले मरे १० हजार ६०० लोग
पर्यावरणविद प्रो. शम्स परवेज ने हवा में फैले कार्बन का दुष्प्रभाव जानने के लिए वर्ष २०१७-१८ में दुर्ग, रायपुर और कोरबा जिले कुसुमडा में सर्वे किया था। रिसर्च में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए थे। पर्यावरणविद प्रो. शम्स परवेज की माने तो २०१७-१८ में रिसर्च के दौरान रायपुर की हवा में ५६ प्रतिशत, दुर्ग की हवा में ६० प्रतिशत और कोरबा के कुसुमडा की हवा में २२ प्रतिशत कार्बन मिला था। कार्बन की वजह से दुर्ग में ६ हजार १९३ लोग, रायपुर में ४ हजार ४१६ और कुसुमडा में ६ लोगों की औसत आयु से पहले मृत्यू होने का दावा पर्यावरणविदों ने किया है।
पीएम १० बढऩे का कारण उद्योग
प्रदेश में पीएम १० बढऩे का कारण उद्योग, कोल खदान और कंडम गाडि़यों से निकलने वाला धुआ है। प्रदेश में उद्योग और कारखाने कारोबार करने के साथ लोगों की हवा को प्रदूषित कर रहे है। प्रदेश में ३५ हजार निम्न दाब उपभोक्ता, १ हजार उच्च दाब उपभोक्ता और लगभग ४० हजार से ज्यादा सूक्ष्म उद्योग है। इन सभी उद्योगों पर पर्यावरण संरक्षण मंडल के अधिकारी सख्ती नहीं कर पा रहे, जिस वजह से हवा दूषित हो रही है।

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