कांग्रेस अध्यक्ष
भूपेश बघेल ने इसे संगठित लूट का उदाहरण बताया। उनका कहना था कि रायपुर,
दुर्ग और रायगढ़ जिलों में सरपंच-सचिवों के हस्ताक्षर के बिना ही पंचायतों की राशि बैंक खातों से विभाग को स्थानांतरित कर दी गई। ऐसा कभी नहीं हुआ है। विधायक सत्यनारायण शर्मा ने कहा, सरकार ने कानून की धज्जियां उड़ा रखी हैं। विधायकों ने इस मामले में जिम्मेदारों पर कार्रवाई करने की मांग की।
सभापति ने इसी विषय पर ध्यानाकर्षण की सूचना आ चुकने का हवाला देकर स्थगन प्रस्ताव को नामंजूर कर दिया। नाराज विपक्ष ने नारेबाजी शुरू कर दी। जवाब में भाजपा विधायक भी सीटों से खड़े होकर नारेबाजी करने लगे। इसकी वजह से सभा की कार्यवाही 10 मिनट के लिए रोकनी पड़ी।
दोबारा कार्यवाही शुरू होने पर पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री अजय चंद्राकर ने व्यक्तव्य दिया। उनका कहना था, वित्त आयोग की अनुशंसाओं में शामिल है, कि उनके दिए पैसे का उपयोग मूलभूत सुविधाओं के निर्माण में हो सकता है। मोबाइल कनेक्टिविटी भी मूलभूत सुविधाओं में शामिल है। उनका कहना था, 17 जिलों में मोबाइल कनेक्टिविटी कमजोर है। इसके लिए उस राशि से मोबाइल टॉवर लगाने का निर्णय लिया गया था।
जनभावनाओं को देखते हुए वह फैसला भी वापस ले लिया गया। उन्होंने कहा, वह राशि भी पंचायतों को वापस कर दी जाएगी। अगर बिना सरपंच-सचिव के हस्ताक्षर के राशि निकाली गई है तो उसपर कार्रवाई करूंगा। व्यक्तव्य के बाद भी हंगामा जारी रहा। कांग्रेस विधायक एफआइआर दर्ज करने की मांग कर रहे थे। दोनों तरफ से नारेबाजी हुई और सदन की कार्रवाई को एक बार फिर स्थगित कर दी गई।
कवासी बोले, बर्तन मांजने को मजबूर हो गए आदिवासी
राज्यपाल के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा करते हुए कांग्रेस विधायक दल के उपनेता कवासी लखमा ने कहा, इतिहास में कभी बस्तर के आदिवासी ने पलायन नहीं किया। लेकिन पिछले 14 वर्षों में पलायन बढ़ा है। आज बस्तर के आदिवासी हैदराबाद, विशाखापट्टनम और मद्रास में बर्तन मांजने को मजबूर हैं। लोग रोज ही फर्जी मुठभेड़ों में मारे जा रहे हैं, जेलों में बंद हैं। वहीं भाजपा विधायक भोजराज नाग ने कहा, सरकार बनने के बाद बस्तर में आदिवासियों की स्थिति में सुधार आया है।