वर्ष 2008-09 में राम नारायण यादव के नेतृत्व में लगातार काम करते हुए अवैध रूप से जंगल काटने वाले तस्करों से करीब 3000 कुल्हाड़ी जब्त की गई और जंगल काटने पर पूर्णता प्रतिबंध लगाया गया। इसके लिए वे लगातार क्षेत्रवासियों को जागरूक करते रहे। बिना झगड़ा किए लोगों को जंगल काटने से मना करते थे और उनके सामने पहाड़ की तरह खड़े हो जाते थे। उनके कार्यों से प्रभावित होकर उन्हें वन विभाग द्वारा कोलकाता में हुए एक राष्ट्रीय अधिवेशन में भेजा गया। जहां पर वन प्रबंधन संबंधित कार्यशाला का आयोजन था। इस कार्यशाला में शामिल होकर राम नारायण यादव छत्तीसगढ़ के लिए प्रथम पुरस्कार जीतकर लाए और उनके कार्य और भाषण से प्रभावित होकर कोलकाता में वन प्रबंधन के लिए उन्हें निर्विरोध राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया।
अस्थायी तौर पर चौकीदार घोषित
वर्ष 2015 में उनकी निस्वार्थ सेवा देखते हुए उन्हें चौकीदार घोषित कर दिया गया। वह भी अस्थायी तौर पर। आज भी 58 साल की उम्र में वह चौकीदार के पद पर ही हैं , लेकिन उन्हें कोई नियमित वेतन नहीं मिलता। उन्होंने अपना पूरा जीवन जंगल के लिए समर्पित कर दिया उन्होंने वन विभाग को 100 हेक्टेयर जंगल की फेंसिंग तार घेरा करने की मांग भी रखी। हाल ही में उनके द्वारा वन समिति के माध्यम से गोशाला का भी संचालन किया जा रहा है। जिसमें बड़े पैमाने पर दूध उत्पादन किया जा रहा है।
वन संरक्षण पुरस्कार का हकदार
रामनारायण यदु जंगल के लिए पूरी तरह समर्पित है जो सुबह 3 बजे उठकर गौशाला में जाकर पहले गायों की सेवा करते हैं, दूध निकलवाते हैं। उसके बाद फिर जंगल चले जाते हैं। जंगल के ऐसे निस्वार्थ सिपाही को आज तक ऐसी कोई उपलब्धि हासिल नहीं हुई जो वन विभाग में कुछ वर्षों की सेवा करने के बाद लोगों को दे दी जाती हैं। रामनारायण यदु प्रदेश स्तरीय वन संरक्षण पुरस्कार के असली हकदार हैं। सरकार को भी इस ओर ध्यान देना चाहिए।
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