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रायपुर

15 दिन के फेर में चुका 63 लाख रुपए का मुआवजा

नए दर लागू होने से पहले ही 28 किसानों का अवार्ड हो चुका था पारित

रायपुरDec 09, 2021 / 04:18 pm

Gulal Verma

15 दिन के फेर में चुका 63 लाख रुपए का मुआवजा

15 दिन के फेर में चुका 63 लाख रुपए का मुआवजा

देवभोग। मुआवजा की मांग को लेकर मंगलवार को सुबह 7 बजे से देवभोग झाखरपारा मार्ग पर तेलनदी में बने पुल पर चक्काजाम शुरू किया था किसानो ने। प्रदर्शन 13 घंटे तक चलता रहा। रात 8 बजे यह तय हुआ कि बुधवार को प्रतिनिधिमंडल कलेक्टर से मिलने गरियाबन्द जाएगा। बुधवार 3 बजे कलेक्टोरेट के सभा कक्ष में कलेक्टर नीलेश क्षीरसागर से डेढ़ घंटे तक किसानों का प्रतिनिधिमण्डल ने सीधी बात की। एडीएम जे. आर. चौरसिया, एसडीएम टी,आर, देवांगन, तहसीलदार समीर शर्मा भी दस्तावेज लेकर मौजूद थे। चर्चा में ही कलेक्टर ने प्रकरण से जुड़ी एक- एक दस्तावेज दिखाकर किसानों को सन्तुष्ट करने की कोशिश की प्रतिनिधिमंडल में भाजयुमो जिला अध्यक्ष डॉ. योगिराज माखन कश्यप, चमारसिंह पात्र, उपेंद्र यादव, रामेश्वर पात्र, सारथी यादव, भुनेश्वर ध्रुवा शामिल थे। पूरे मामला को समझने के बाद किसानों ने यह तय किया कि मुआवजे की मांग के लिए आंदोलन का रास्ता नहीं अपनाएंगे, लेकिन अपने हक के लिए वैधानिक लड़ाई जारी रखेंगे। नए दर पर मुआवज़ा नहीं देने के प्रशासनिक निर्णय को कमिश्नर के पास चुनौती देंगे।
इसलिए मांग पर अडिग हैं किसान
किसानो का दावा है कि उन्हें भूअर्जन के नए दर पर 6 लाख प्रति एकड़ के हिसाब से 63 लाख 25074 रुपए दिया जाना है। आंदोलन को लीड करने वाले रिटायर्ड शिक्षक रामेश्वर पात्र व उपेंद्र यादव ने बाकायदा भू अर्जन शाखा से जारी सूची दिखाते हुए कहा है कि ये रकम हमारे नाम से पारित होकर भू अर्जन अधिकारी देवभोग एसडीएम के खाते में जमा हो गया है। जिसे हमें अब केवल भुगतान करना है। प्रावधान में नहीं होता तो भू अर्जन अधिकारी के खाते जमा क्यों होता
प्रशासन का तर्क
बुधवार को हुई चर्चा में कलेक्टर नीलेश क्षीरसागर ने बताया कि 2010-11 में अधिग्रहित भूमि का अवार्ड 15 नवम्बर 2014 में पारित किया गया। जबकि 1 दिसम्बर 2014 को मुआवज़ा का नया दर लागू कर दिया गया। ऐसे में नए दर के भुगतान को अनुचित माना गया। 63 लाख जमा होने के सवाल पर अफसरों ने बताया कि निर्माण करने वाले विभाग से मुआवज़े का रकम लेना होता है। ऐसे में तत्कालीन अफसरों ने नए दर पर भुगतान करने का प्रस्ताव भी भेज दिया। नए दर पर मांग के अनुरूप रुपए एसडीएम के खाते में भी जमा कर दिया गया। भुगतान के पूर्व प्रपोजल में कलेक्टर की अनुमति जरूरी होता है। जब अनुमोदन के लिए प्रपोजल गई तो की गई त्रुटि पर आशंका हुई। एसडीएम ने कहा कि इसी आशंका को दूर करने शासन से गाइड लाइन मांगी गई। जिसमें स्पष्ट कहा गया है कि नए दर लागू होने से पहले ही 28 किसानों का अवार्ड पारित हो चुका था। ऐसे में नए दर का भुगतान अनुचित होगा।

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