इसलिए मांग पर अडिग हैं किसान
किसानो का दावा है कि उन्हें भूअर्जन के नए दर पर 6 लाख प्रति एकड़ के हिसाब से 63 लाख 25074 रुपए दिया जाना है। आंदोलन को लीड करने वाले रिटायर्ड शिक्षक रामेश्वर पात्र व उपेंद्र यादव ने बाकायदा भू अर्जन शाखा से जारी सूची दिखाते हुए कहा है कि ये रकम हमारे नाम से पारित होकर भू अर्जन अधिकारी देवभोग एसडीएम के खाते में जमा हो गया है। जिसे हमें अब केवल भुगतान करना है। प्रावधान में नहीं होता तो भू अर्जन अधिकारी के खाते जमा क्यों होता
किसानो का दावा है कि उन्हें भूअर्जन के नए दर पर 6 लाख प्रति एकड़ के हिसाब से 63 लाख 25074 रुपए दिया जाना है। आंदोलन को लीड करने वाले रिटायर्ड शिक्षक रामेश्वर पात्र व उपेंद्र यादव ने बाकायदा भू अर्जन शाखा से जारी सूची दिखाते हुए कहा है कि ये रकम हमारे नाम से पारित होकर भू अर्जन अधिकारी देवभोग एसडीएम के खाते में जमा हो गया है। जिसे हमें अब केवल भुगतान करना है। प्रावधान में नहीं होता तो भू अर्जन अधिकारी के खाते जमा क्यों होता
प्रशासन का तर्क
बुधवार को हुई चर्चा में कलेक्टर नीलेश क्षीरसागर ने बताया कि 2010-11 में अधिग्रहित भूमि का अवार्ड 15 नवम्बर 2014 में पारित किया गया। जबकि 1 दिसम्बर 2014 को मुआवज़ा का नया दर लागू कर दिया गया। ऐसे में नए दर के भुगतान को अनुचित माना गया। 63 लाख जमा होने के सवाल पर अफसरों ने बताया कि निर्माण करने वाले विभाग से मुआवज़े का रकम लेना होता है। ऐसे में तत्कालीन अफसरों ने नए दर पर भुगतान करने का प्रस्ताव भी भेज दिया। नए दर पर मांग के अनुरूप रुपए एसडीएम के खाते में भी जमा कर दिया गया। भुगतान के पूर्व प्रपोजल में कलेक्टर की अनुमति जरूरी होता है। जब अनुमोदन के लिए प्रपोजल गई तो की गई त्रुटि पर आशंका हुई। एसडीएम ने कहा कि इसी आशंका को दूर करने शासन से गाइड लाइन मांगी गई। जिसमें स्पष्ट कहा गया है कि नए दर लागू होने से पहले ही 28 किसानों का अवार्ड पारित हो चुका था। ऐसे में नए दर का भुगतान अनुचित होगा।
बुधवार को हुई चर्चा में कलेक्टर नीलेश क्षीरसागर ने बताया कि 2010-11 में अधिग्रहित भूमि का अवार्ड 15 नवम्बर 2014 में पारित किया गया। जबकि 1 दिसम्बर 2014 को मुआवज़ा का नया दर लागू कर दिया गया। ऐसे में नए दर के भुगतान को अनुचित माना गया। 63 लाख जमा होने के सवाल पर अफसरों ने बताया कि निर्माण करने वाले विभाग से मुआवज़े का रकम लेना होता है। ऐसे में तत्कालीन अफसरों ने नए दर पर भुगतान करने का प्रस्ताव भी भेज दिया। नए दर पर मांग के अनुरूप रुपए एसडीएम के खाते में भी जमा कर दिया गया। भुगतान के पूर्व प्रपोजल में कलेक्टर की अनुमति जरूरी होता है। जब अनुमोदन के लिए प्रपोजल गई तो की गई त्रुटि पर आशंका हुई। एसडीएम ने कहा कि इसी आशंका को दूर करने शासन से गाइड लाइन मांगी गई। जिसमें स्पष्ट कहा गया है कि नए दर लागू होने से पहले ही 28 किसानों का अवार्ड पारित हो चुका था। ऐसे में नए दर का भुगतान अनुचित होगा।