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रायपुर

मंत्री जी.. राजधानी के इस सरकारी स्कूल में एक घंटे बैठ के दिखाए, पता चल जाएगा बच्चे कैसे करते हैं पढ़ाई

मंत्री जी.. राजधानी के इस सरकारी स्कूल में एक घंटे बैठ के दिखाए, पता चल जाएगा बच्चे कैसे करते हैं पढ़ाई

रायपुरOct 13, 2018 / 09:36 pm

चंदू निर्मलकर

Chhattisgarh govt School

मंत्री जी.. राजधानी के इस सरकारी स्कूल में एक घंटे बैठ के दिखाए, पता चल जाएगा बच्चे कैसे करते हैं पढ़ाई

देवेन्द्र साहू@रायपुर. ये कोई बस्तर या सरगुजा संभाग का स्कूल नहीं… ये तो राजधानी के मध्य बसे गुढिय़ारी का स्कूल है। जहां बच्चों का भविष्य गढ़ा जा रहा है। इस स्कूल की पहचान दीवारों से गिरने वाले मलबे और टूटी-फुटी बेंच के साथ बदबुओं के बीच स्कूल का वातावरण है। ऐसे तस्वीर ही सरकारी स्कूलों की हकिकत को बया करती है। नगर निगम द्वारा संचालित शशिबाला शासकीय उच्चतर माध्यमिक शाला जो अभाव की मार से बिमार है। सैकड़ों की तादात में यहां छात्र-छात्राएं पढऩे आते है। दो पालियों में लगने वाले इस स्कूल में तीन प्लोर है। पहले में प्राथमिक और माध्यमिक तथा दूसरे में हाईऔर हायर सेकेंडरी की कक्षाए लगती है।
Chhattisgarh govt School
पत्रिका की टीम ने स्कूल की रियलिटी चेक की तो इसकी हकिकत सामने आई. बाहर से चमकता यह स्कूल अंदर से उतना ही जर्जर है। मानों यह कोई खंडहर से कम नहीं। मूलभूत सुविधाओं का टोटा है. हैंडपंप नहीं हैं. निगम के पाइप से प्यास बुझाई जा रही है. गंदगी के अंबार में लिपटे शौचालयों के दरवाजे टूटे हैं. क्लास रूम में प्लास्टर गिर रहा है. क्लासरूम के दरवाजे खिडख़ी टूट-फूट गए हैं. तो वहीं, कई क्लास रूम के अंदर बैठने की व्यवस्था नहीं हैं. फर्नीचर की उपलब्धता मात्र 40 नग है, जो हैं वह जर्जर स्थिति में हैं।
Chhattisgarh govt School

पुराना है स्कूल का इतिहास
इस स्कूल का निर्माण 1973 में प्राथमिक शाला के तौर पर किया गया था। वर्तमान इस परिसर में चार स्कूल के साथ एक कॉलेज का अस्थाई तौर पर संचालन किया जा रहा है। प्राईमरी और मिडिल मिलाकर करीब 400 बच्चें यहा पढ़ाई करते है। और हायर सेकेंडरी व कॉलेज में भी छात्रों की संख्या काफी है।

Chhattisgarh govt School

वर्षो से नहीं हो रहा मेंटेनेंस का कार्य
स्कूल निमार्ण के बाद से यहा न तो मेंटेनेस हो रहा है और न ही रंग रोगन किया गया है। स्कूल को तीन भागों में चलाया जा रहा है जिसमें प्राथमिक, माध्यमिक, उच्चतर । उच्चतर के कमरों का निर्माण नए होने की वजह से वे सही अवस्था में है।

बदबू के बीच पढ़ाई
गुढिय़ारी के इस स्कूल में बच्चों के लिए शौचालय का निमार्ण किया गया है। इससे उठने वाली बदबू पूरे स्कूल परिसर में फैल जाती है। छात्र-छात्राओं इसी बदबू में बैठना पड़ रहा है।

Chhattisgarh govt School

व्यवस्था एक नजर में
विद्यार्थी- पूरे स्कूल मिडिल और प्राइमरी मिलाकर 400
फर्नीचर – स्टूडेंट्स के सापेक्ष फर्नीचर करीब 80 परसेंट कम हैं. जो हैं वह जर्जर हो चुके हैं. 150 स्टडी टेबल और चेयर की जरूरत है।
टॉयलेट – स्कूल में जो टॉयलेट बनाए गए हैं वह बेहद गंदे हैं. बदबू के कारण उपयोग नहीं होता।
भवन – स्कूल बिल्डिंग जर्जर होता जा रहा है. नीचे के करीब 7 कमरों की दीवारों से मलबा गिरने लगा है. प्रिंसिपल कक्ष के अलावा सभी क्लास रूम जर्जर हैं।
पेयजल – शुद्ध पेयजल के नाम पर यहां कोई व्यवस्था नहीं है थाली धोने के लिए नगर निगम का नल है. हैण्ड पंप भी नहीं, जो वाटर कूलर आए है नल कनेक्शन के अभाव में पड़े-पड़े सड़ रहे है।

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