पुराना है स्कूल का इतिहास
इस स्कूल का निर्माण 1973 में प्राथमिक शाला के तौर पर किया गया था। वर्तमान इस परिसर में चार स्कूल के साथ एक कॉलेज का अस्थाई तौर पर संचालन किया जा रहा है। प्राईमरी और मिडिल मिलाकर करीब 400 बच्चें यहा पढ़ाई करते है। और हायर सेकेंडरी व कॉलेज में भी छात्रों की संख्या काफी है।
वर्षो से नहीं हो रहा मेंटेनेंस का कार्य
स्कूल निमार्ण के बाद से यहा न तो मेंटेनेस हो रहा है और न ही रंग रोगन किया गया है। स्कूल को तीन भागों में चलाया जा रहा है जिसमें प्राथमिक, माध्यमिक, उच्चतर । उच्चतर के कमरों का निर्माण नए होने की वजह से वे सही अवस्था में है।
बदबू के बीच पढ़ाई
गुढिय़ारी के इस स्कूल में बच्चों के लिए शौचालय का निमार्ण किया गया है। इससे उठने वाली बदबू पूरे स्कूल परिसर में फैल जाती है। छात्र-छात्राओं इसी बदबू में बैठना पड़ रहा है।
व्यवस्था एक नजर में
विद्यार्थी- पूरे स्कूल मिडिल और प्राइमरी मिलाकर 400
फर्नीचर – स्टूडेंट्स के सापेक्ष फर्नीचर करीब 80 परसेंट कम हैं. जो हैं वह जर्जर हो चुके हैं. 150 स्टडी टेबल और चेयर की जरूरत है।
टॉयलेट – स्कूल में जो टॉयलेट बनाए गए हैं वह बेहद गंदे हैं. बदबू के कारण उपयोग नहीं होता।
भवन – स्कूल बिल्डिंग जर्जर होता जा रहा है. नीचे के करीब 7 कमरों की दीवारों से मलबा गिरने लगा है. प्रिंसिपल कक्ष के अलावा सभी क्लास रूम जर्जर हैं।
पेयजल – शुद्ध पेयजल के नाम पर यहां कोई व्यवस्था नहीं है थाली धोने के लिए नगर निगम का नल है. हैण्ड पंप भी नहीं, जो वाटर कूलर आए है नल कनेक्शन के अभाव में पड़े-पड़े सड़ रहे है।