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रायपुर

हकीकत… पैसा, एजेंसियां, सुविधाएं सब मौजूद लेकिन सड़कें नदारद, वादा फिस्स

मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने 2013 विधानसभा चुनाव परिणाम आने के बाद लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों की पहली बैठक लेते हुए कहा था कि सड़कों के विस्तार से ज्यादा उनकी गुणवत्ता पर ध्यान दिया जाए।

रायपुरSep 13, 2018 / 12:46 pm

Ashish Gupta

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Gaddha free roads in UP- see reality in this video

आवेश तिवारी/रायपुर. छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने 2013 विधानसभा चुनाव परिणाम आने के बाद लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों की पहली बैठक लेते हुए कहा था कि सड़कों के विस्तार से ज्यादा उनकी गुणवत्ता पर ध्यान दिया जाए। नई सड़क बनाने के बाद कम से कम पांच साल तक मरम्मत की जरुरत नहीं होनी चाहिए। लेकिन आज की हकीकत यह है कि छत्तीसगढ़ में मुंबई-हावड़ा राष्ट्रीय राजमार्ग को छोड़ दें, तो राज्य के सभी राष्ट्रीय राजमार्ग, राजकीय राजमार्ग, जिला एवं तहसील स्तर को जोड़ने वाली सड़कें खस्ताहाल हो गई है। आलम यह है कि हर साल करोड़ों का बजट धरा का धरा रह जाता है।

नितिन गडकरी का नया वादा
जुलाई 2015 में रायगढ़ से पत्थलगांव के बीच 110 किमी सड़क के लिए 540 करोड़ का ठेका जिंदल को दिया गया था। कंपनी फंड एकत्र नहीं कर पाई, जिसके बाद ठेका निरस्त कर दिया गया था। रायगढ़ से पत्थलगांव को फोरलेन में बदलना था, 2017 में छत्तीसगढ़ सड़क विकास निगम ने सड़क निर्माण के लिए टेंडर बुलाया था, लेकिन निर्माण शुरू होने से पहले ही निर्माण एजेंसी ने सरेंडर कर दिया। दो दिनों पहले सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने छत्तीसगढ़ के अपने दौरे में कहा कि जल्द ही राज्य में 40 हजार करोड़ रुपए से अधिक की सड़कों और फ्लाई ओवर का जाल बिछा दिया जाएगा। लेकिन यह सड़कें कब बनेगी, कोई टाइम फ्रेम तय नहीं किया गया है।

बजट बढ़ा…मगर सड़कें गायब
बिलासपुर रायपुर मार्ग विगत 15 सालों से अटका पड़ा है। बिलासपुर-अंबिकापुर मार्ग को फोरलेन करने का काम ख़त्म नहीं हो पा रहा है वहीं कोरबा से रायगढ़ को जोड़ने वाली सड़क अपनी किस्मत का रोना रो रही है। यह हाल तब है जब पिछले दो दशकों में छत्तीसगढ़ में लोक निर्माण विभाग का बजट लगभग 15 गुना बढ़ा है। वर्ष 2001-02 में बजट का आकर जहां 252 करोड़ था, 2013-14 में बढ़कर 3733 करोड़ तक जा पहुंचा। केंद्र की विभिन्न योजनाओं और विश्व बैंक, एशियन डेवलपमेंट बैंक का अरबों का फंड अलग से आता है। लेकिन सच्चाई यह है कि लाखों की आबादी अभी तक दुर्गमता का अभिशाप झेल रही है।

कई बार टेंडर मंगाने के बावजूद नहीं आती कम्पनियां
छत्तीसगढ़ सरकार ने अपने 2013 के घोषणा पत्र में वायदा किया था कि सभी गांवों को पक्की सड़क से जोड़ा जाएगा और गांवों में सामुदायिक सार्वजनिक भवन का निर्माण किया जाएगा। लेकिन सच्चाई यह है कि पूरे राज्य में सडकों का हाल और निर्माण एजेंसियों की कार्यशैली एक जैसी हो गई है। टेंडर मंगाए जाते हैं तो कम्पनियां नहीं आती। यदि कम्पनियां आ जाती हैं तो माओवादी काम नहीं करने देते। माओवादियों का आतंक जहां नहीं है, वहां पर काम हो भी रहा है तो धीमी गति से।

अटलजी के सपनों का हाल
छत्तीसगढ़ में 2017-18 के दौरान प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत 1727 किमी सड़कों का निर्माण किया, जबकि लक्ष्य केवल 1600 किलोमीटर का था। पिछले वर्ष जिस 640 आबादी तक सड़कों की पहुंच होनी थी। उसकी तुलना में केवल 390 आबादी तक ही सड़क की पहुंच हो पाई जबकि छत्तीसगढ़ ने पूरे धन का इस्तेमाल कर लिया। केंद्र ने 2016 के दौरान पीएमजीएसवाइ में धीमी प्रगति वाले जिन 10 राज्यों की सूची जारी की, उनमें छत्तीसगढ़ 9वें स्थान पर था।

कांग्रेस प्रवक्ता शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा कि लोक निर्माण विभाग पूरी तरह से भ्रष्टाचार में डूबा हुआ है। जिसका असर साफ़ नजर आ रहा है।बीजेपी अपने वादे को पूरा नहीं कर सकी है।
भाजपा प्रवक्ता संजय श्रीवास्तव ने कहा कि पिछले 15 सालों में राज्य में ऐतिहासिक काम हुए हैं। मुख्यमंत्री के नेतृत्व में लगातार सड़कों और पुल-पुलियों का निर्माण हो रहा है।

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