scriptCG Tribals go against government for rights on green gold tendu leaves | हरे सोने पर पूरा हक पाने सरकार के खिलाफ जा रहे छत्तीसगढ़ के आदिवासी, सिर्फ मजदूरी नहीं जल-जंगल-ज़मीन पर भी चाहतें हैं मालिकाना हक | Patrika News

हरे सोने पर पूरा हक पाने सरकार के खिलाफ जा रहे छत्तीसगढ़ के आदिवासी, सिर्फ मजदूरी नहीं जल-जंगल-ज़मीन पर भी चाहतें हैं मालिकाना हक

locationरायपुरPublished: May 13, 2022 12:35:01 am

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CG Desk

राज्य सरकार ठेकेदार के माध्यम से तेंदूपत्ता तोड़ती है। आदिवासी लोग इस बात का विरोध कर रहे हैं और खुद कमेटी बनाकर पत्ते खरीद रहे हैं। इस पर वन विभाग कार्यवाही करने की तैयारी में है।

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रायपुर. मानपुर दक्षिण वन क्षेत्र के ग्यारह गांवों के लोग सरकार के नियमों के खिलाफ जाकर हरे सोने (तेंदूपत्ता) पर पूर्ण अधिकार स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं। जानकारी में आया है इन गांवों में आदिवासी लोग खुद कमेटी बनाकर इलाके के लोगों से तेंदूपत्ता खरीद रहे हैं। इस समिति में पदाधिकारी सहित कई सदस्य शामिल हैं।

तेंदूपत्ता इकट्ठा कर बेचने की तैयारी में है आदिवासियों की कमेटी
समिति से मिली जानकारी के अनुसार आदिवासियों ने तेंदूपत्ता के रख-रखाव के लिए भी उचित व्यवस्था की हुई है। समिति प्रतिदिन तेंदूपत्ता एकत्र करने और भंडारण की कार्य योजना तैयार करने के लिए बैठक आयोजित करती है। वन विभाग उन पर कार्रवाई करने की तैयारी में है। कुछ वन विभाग अधिकारियों ने जब्ती की योजना की ओर संकेत दिए हैं।

सरकार ठेकेदार के माध्यम से करती है तेंदूपत्ता की तोड़ाई
राज्य सरकार ने तेंदूपत्ता के अवैध संग्रह और परिवहन पर रोक लगाई हुई है। तेंदूपत्ता तोड़ने का काम सरकार एक ठेकेदार के माध्यम से करती है। क्षेत्र के आदिवासी मजदूर मौजूदा व्यवस्था का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि अगर जल, जंगल और जमीन उनकी है तो वे तेंदूपत्ता तोड़कर अपने रेट पर बेचेंगे। या वे इसे महाराष्ट्र में बारह सौ से दो हजार रुपये प्रति किलोग्राम के भाव पर बेचेंगे।

वन विभाग को हो रहा राजस्व का भारी नुकसान
यदि क्षेत्र के आदिवासी ग्रामीण तेंदूपत्ते अपने कीमत पर बेचने में कामयाब हो जाते हैं तो वन विभाग और संबंधित ठेकेदार को पैसे का भारी नुकसान होगा। आदिवासियों के लिए इस योजना को अंजाम देना इतना आसान नहीं होगा। पत्तियों को तोड़ने के बाद ग्रामीणों को इसे ले जाने के लिए वन विभाग से परमिट की आवश्यकता होगी। विभाग से अनुमति नहीं मिलने पर विभाग तत्काल जब्ती की कार्रवाई करेगा।

सभी 11 गांव नक्सल प्रभावित क्षेत्र में आते हैं
ये सभी गांव नक्सल प्रभावित गांव हैं। समिति से जुड़े लोगों की मांगें नहीं मानी गईं और वन विभाग ने परिवहन की अनुमति नहीं दी तो वे धरना-प्रदर्शन करेंगे। छत्तीसगढ़ में आदिवासी शुरू से ही जल, जंगल और जमीन के लिए सरकार से लड़ते आ रहे हैं।

तेंदूपत्ता उत्पादन में छत्तीसगढ़ भारत का अग्रणी राज्य
तेंदूपत्ता बीड़ी बनाने के काम आता है। छत्तीसगढ़ में तेंदूपत्ते का लगभग 16.72 लाख बोरी उत्पादन सालाना किया जाता है। देश में तेंदूपत्ते के कुल उत्पादन का लगभग बीस प्रतिशत उत्पादन छत्तीसगढ़ में ही किया जाता है। छत्तीसगढ़ में तेंदु के पत्तों के एक सामान्य बोरे में 50 पत्तों के 1000 बंडल होते हैं। प्रदेश में इन्हें करने का समय संग्रह अप्रैल के तीसरे सप्ताह से लेकर जून के दूसरे सप्ताह तक चलता है।
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