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रायपुर

Chaitra Navratri 2021: सातवें दिन करें मां कालरात्रि की उपासना, जानें पूजा विधि, बीज मंत्र और व्रत कथा

Chaitra Navratri 2021: चैत्र नवरात्रि का आज सातवां दिन है। नवरात्रि के सातवें दिन मां दुर्गा के मां कालरात्रि (Maa Kalratri) स्वरूप की उपासना की जाती है। जानें पूजा विधि, बीज मंत्र और स्त्रोत पाठ

रायपुरApr 19, 2021 / 08:49 am

Ashish Gupta

Maa Kalratri Favourite Sweets Colours Kalratri Maa Ka Priy Phool

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रायपुर. चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri 2021) का आज सातवां दिन है। नवरात्रि के सातवें दिन मां दुर्गा के मां कालरात्रि स्वरूप की उपासना की जाती है। मां कालरात्रि का स्वरूप बहुत ही भयावह और डरावना है। मां कालरात्रि का यह स्वरूप अपने भक्तों की हमेशा रक्षा करने वाला है, इसीलिए इन्हें शुभकंरी भी कहा जाता है। लेकिन मां कालरात्रि ऐसे लोगों को सजा जरूर देती हैं जो पापी और दुष्ट हों। मां कालरात्रि के केश खुले हुए हैं। अंधकार की तरह इनका रंग काला है। मां कालरात्रि तीन नेत्रों वाली हैं। इनकी जीभ गुस्से में बाहर की तरफ निकली होती है और गले में बिजली की माला धारण की हुई हैं।

मां कालरात्रि गधे की सवारी करती हैं। इनके हाथों में खड और कांटा है। माना जाता है कि मां कालरात्रि अपने भक्तों की उनके शत्रुओं से हमेशा रक्षा करती हैं। इनकी उपासना से जितनी भयानक शक्तियां और नकारात्मक ऊर्जा का नाश हो जाता है। इसलिए ऐसे लोग जिनके जीवन में शत्रुओं और विरोधियों का डर हमेशा बना रहता है उन्हें चैत्र नवरात्रि में मां कालरात्रि की पूजा पूरे विधि विधान से जरूर करनी चाहिए। मां कालरात्रि की आराधना से अकाल मृत्यु का डर भी दूर होता है। साथ ही मन की शक्ति भी बढ़ती हैं।

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पूजा विधि
मां कालरात्रि को पूजा में गुड़हल के फूल अर्पित करें। इसके साथ चमेली और रात रानी के फूल भी मां को अति प्रिय हैं। लाल रंग के वस्त्र धारण कर मां कालरात्रि की पूजा करें। सबसे पहले कलश की पूजा करें। साथ ही नौ ग्रहों का आह्वान करें। इसके बाद गाय के घी का दीपक जलाएं। मां कालरात्रि से प्रार्थना करें कि जो भी महामारी इस समय देश-दुनिया में फैली हुई है उसका नाश करें और उससे मानव जगत के साथ पूरे विश्व की रक्षा करें। इसके बाद मां को अक्षत, रोली, कुमकुम से तिलक करें। इसके साथ मां को गुड़ का भोग लगाएं। और बचे हुए गुड़ को प्रसाद स्वरूप किसी कन्या को दीजिए और पूरे परिवार में ग्रहण करें।

मां कालरात्रि का पूजा मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु मां कालरात्रि रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

मां कालरात्रि का बीज मंत्र
क्लीं ऐं श्री कालिकायै नमः।

मां कालरात्रि का स्त्रोत पाठ
हीं कालरात्रि श्री कराली च क्लीं कल्याणी कलावती।
कालमाता कलिदर्पध्नी कमदीश कुपान्विता॥
कामबीजजपान्दा कमबीजस्वरूपिणी।
कुमतिघ्नी कुलीनर्तिनाशिनी कुल कामिनी॥
क्लीं हीं श्रीं मन्त्र्वर्णेन कालकण्टकघातिनी।
कृपामयी कृपाधारा कृपापारा कृपागमा॥

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व्रत कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार दैत्य शुंभ-निशुंभ और रक्तबीज ने तीनों लोकों में हाहाकार मचा रखा था। दैत्यों के अत्याचार से परेशान होकर सभी देवतागण भगवान भोले के पास गए। तब भगवान भोले ने मां पार्वती से दैत्यों का वध कर देवताओं की रक्षा करने के लिए कहा। मां पार्वती ने देवताओं की रक्षा करने के लिए मां दुर्गा का रूप धारण कर लिया और शुंभ-निशुंभ का वध कर दिया। परन्तु जैसे ही मां दुर्गा ने रक्तबीज को मारा, तो उसके रक्त से लाखों रक्तबीज पैदा हो गए। इसे देख मां दुर्गा ने अपने तेज से मां कालरात्रि को पैदा किया। इसके साथ ही जब मां दुर्गा ने रक्तबीज को मारा तो उसके शरीर से निकलने वाले रक्त की हर बूंद को मां कालरात्रि ने अपने मुख में भर लिया। इस तरह से मां कालरात्रि ने राक्षस रक्तबीज का वध कर दिया। आज के दिन मां कालरात्रि की पूजा करने के साथ व्रत कथा सुनने से दानव-दैत्य सब भाग जाते हैं। साथ ही शनि देव के अशुभ दोष को दूर करना है तो मां कालरात्रि की पूजा करनी चाहिए।

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