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कथा और महत्व
देवीपुराण के अनुसार भगवान शिव ने इनकी कृपा से ही आठों प्रकार की सिद्धियों को प्राप्त किया था। इनकी अनुकम्पा से ही भगवान शिव का आधा शरीर देवी का हुआ था। इसी कारण वे लोक में अद्र्धनारीश्वर नाम से प्रसिद्ध हुए। सिद्धिदात्री का अर्थ होता है सिद्धि प्रदान करने वाली मां। मां सिद्धिदात्री की पूजा पूरे विधि विधान से सभी प्रकार की सिद्धियां प्राप्त हो सकती हैं।पूजा विधि
सबसे पहले ब्रम्ह मुहूर्त में स्नान करके लाल या पीले रंग के वस्त्र पहन कर पूजा करें। मां के सामने एक घी का दिया जलना है। संभव हो तो मां को नौ कमल के फूल अर्पित करें या लाल या पीले फूल चढ़ा सकते हैं। सबसे पहले कलश और अखंड ज्योत की पूजा करें। साथ ही नौ ग्रहों का आह्वान करें।
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इसके साथ लाल चुनरी और सुहाग की सामग्री अर्पित करें। माना जाता हैं मां सिद्धिदात्री में सभी नौ देवियों का समावेश है अगर मां की सच्चे मन और पूरे विधि विधान से उपासना की जाए तो पूरे नवरात्रि का फल मां सिद्धिदात्री की पूजा से ही मिल जाता हैं।मां सिद्धिदात्री का बीज मंत्र
देवी के बीज मंत्र “ऊँ ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे नमो नम:” से कम से कम 108 बार आहुति दें।
मां सिद्धिदात्री का पूजा मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु मां सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।