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रायपुर

Chaitra Navratri 2021: नवरात्रि के नौवें दिन इस मंत्र से करें मां सिद्धिदात्री की पूजा, जानें भोग विधि, बीज मंत्र

Chaitra Navratri 2021 Day 9: चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri 2021) के आखिरी दिन में मां सिद्धिदात्री (Maa Siddhidatri) की पूजा होती है। मां सिद्धिदात्री मां दुर्गा का नौवां स्वरूप हैं।

रायपुरApr 21, 2021 / 08:25 am

Ashish Gupta

Maa Siddhidatri puja vidhi Siddhidatri Mata Ka Mantra

Maa Siddhidatri puja vidhi Siddhidatri Mata Ka Mantra

रायपुर. चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri 2021) के आखिरी दिन में मां सिद्धिदात्री (Maa Siddhidatri) की पूजा होती है। मां सिद्धिदात्री मां दुर्गा का नौवां स्वरूप हैं। कहते हैं कि इस दिन मां की आराधना करने से हर तरह की सिद्धी प्राप्त हो जाती है। नवरात्रि में नौ दिन किए गए पूजा पाठ का फल मां सिद्धिदात्री की आराधना से ही मिलता है। यह तिथि बहुत खास मानी जाती है, क्योंकि नवरात्रि का आखिरी दिन होता है। मां सिद्धिदात्री के साथ आज के दिन सभी देवी-देवताओं की भी पूजा की जाती है।

साथ ही नवमी के दिन कन्या पूजन भी किया जाता है। कन्याओं को भोग लगाकर आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है। मां दुर्गा अपने भक्तों पर प्रसन्न होकर अपार कृपा बरसाती हैं। मां सिद्धिदात्री कमल पर विराजमान होती हैं। उनका वाहन शेर हैं। मां की चार भुजाएं हैं। दाएं तरफ एक हाथ में गदा और दूसरे में चक्र धारण करती हैं। बाएं तरफ एक हाथ में कमल का फूल और दूसरे में शंख धारण करती हैं।
मां सिद्धिदात्री सदैव अपने भक्तों की रक्षा करती हैं और उनकी मनोकामनाएं पूरी करती हैं। केवल मनुष्य ही नहीं सभी सिद्ध गंधर्व, यक्ष, देवता और असुर इनकी आराधना करते हैं। सभी मनोकामना को पूर्ण करने के लिए मां सिद्धिदात्री की उपासना सबसे शुभ माना गया है।

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कथा और महत्व

देवीपुराण के अनुसार भगवान शिव ने इनकी कृपा से ही आठों प्रकार की सिद्धियों को प्राप्त किया था। इनकी अनुकम्पा से ही भगवान शिव का आधा शरीर देवी का हुआ था। इसी कारण वे लोक में अद्र्धनारीश्वर नाम से प्रसिद्ध हुए। सिद्धिदात्री का अर्थ होता है सिद्धि प्रदान करने वाली मां। मां सिद्धिदात्री की पूजा पूरे विधि विधान से सभी प्रकार की सिद्धियां प्राप्त हो सकती हैं।
मां दुर्गा का यह स्वरूप बहुत ही शक्तिशाली है। असुर महिसासुर के अत्याचार से परेशान होकर जब देवतागण भगवान भोलेनाथ और भगवान विष्णु के पास गए तब देवगणों से एक-एक तेज उत्पन्न हुआ और इस तेज से एक दिव्य शक्ति का निर्माण हुआ, जिन्हें मां सिद्धिदात्री के नाम से जाना गया।

पूजा विधि
सबसे पहले ब्रम्ह मुहूर्त में स्नान करके लाल या पीले रंग के वस्त्र पहन कर पूजा करें। मां के सामने एक घी का दिया जलना है। संभव हो तो मां को नौ कमल के फूल अर्पित करें या लाल या पीले फूल चढ़ा सकते हैं। सबसे पहले कलश और अखंड ज्योत की पूजा करें। साथ ही नौ ग्रहों का आह्वान करें।

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इसके साथ लाल चुनरी और सुहाग की सामग्री अर्पित करें। माना जाता हैं मां सिद्धिदात्री में सभी नौ देवियों का समावेश है अगर मां की सच्चे मन और पूरे विधि विधान से उपासना की जाए तो पूरे नवरात्रि का फल मां सिद्धिदात्री की पूजा से ही मिल जाता हैं।
मां सिद्धिदात्री को हलवा, चना और नारियल का भोग जरूर लगाना चाहिए। मां को तिल का भोग लगाने से हर प्रकार की अनहोनी से बचा जा सकता है। मां को नौ तरह के सात्विक पकवान भी जरूर अर्पित करने चाहिए। मां सिद्धिदात्री की आराधना के साथ ही नवरात्रि की पूजा संपन्न हो जाती है।

मां सिद्धिदात्री का बीज मंत्र
देवी के बीज मंत्र “ऊँ ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे नमो नम:” से कम से कम 108 बार आहुति दें।

मां सिद्धिदात्री का पूजा मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु मां सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।

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