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रायपुर

रमजान अउ पुरुसोत्तम के महीना

हमर भारत देस म किसम-किसम धरम, रीत-रिवाज अउ संस्करीति के मेल हावय।

रायपुरJun 11, 2018 / 06:41 pm

Gulal Verma

cg news

रमजान अउ पुरुसोत्तम के महीना

सियानमन के सीख ल माने म ही भलई हे। तइहा के सियानमन कहंय- बेटा! अधिकमास के हमर जिनगी म भारी महत्तम हावय रे! फेर, हमन उंकर बात ल बने ढंग ले समझ नइ पाएन। हमन नानपन ले सुनत आवत हन-‘हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई, आपस म सबो भाई-भाई।Ó
हमर भारत देस के इसी बिसेसता हवय कि इंहां अनेकता म एकता के वास हावय। किसम-किसम धरम, रीत-रिवाज अउ संस्करीति के मेल हावय। ऐकरे सेती हमर भारत जइसे देस दुनियाभर म अउ कोनो दूसर नइये। इहां मंदिर हे, मस्जिद हे, गुरुद्वारा हे अउ गिरिजाघर हे। इहां गंगा, यमुना, किरिस्ना अउ कावेरी जइसे नदिया हावय त हिमालय जइसे परब घलो हे जउन ह हमर भारत भुइंया के रक्छा करथे। इहां के मनखे जतके नरम अउ सरल हिरदय के हावय, बैरी अउ दुस्मनमन बर वोतके कठोर घलो हावय।
ज्योतिस सास्त्र के मुताबिक भले चंद्रमास अउ सौर मास के समायोजन करे बर अधिकमास के निरमान करे गे हे जउन कि हर तीन बछर के बाद आथे। फेर ऐकर हमर जिनगी म का महत्तम हावय ऐला जाने-समझे के परयास जरूर करे बर चाही। वइसे तो मनखे ल अपन धरम-करम के रद्दा म रोजे रेंगे बर चाही। फेर, अभी 16 मई से 13 जून तक के तिथि ल अधिकमास माने गे हे। जेन ल हिन्दूमन पुरुसोत्तम महीना के नांव से मनावत हावंय त इस्लाम धरम म ऐला रमजान के पबित्र महीना के नांव से मनाए जात हावय। ॉ
इस्लाम धरम के पांच आधार स्तंभ कहे जाथे- ईमान, नमाज, रोजा, हज अउ जकात। जेकर ये महीना म पालन करई खच्चित होथे। वइसने हिन्दू धरम म घलो भगवान के उपर पूरा बिसवास, धरम गरंथ के पाठ, उपास, तीरथ यातरा अउ दान के ये महीना म बिसेस महत्तम हे। ईमान के बिना धरम अउ धरम के बिना ईमान के कल्पना नइ करे जा सकय। ईमान अउ धरम दूनों एक-दूसर के बिना अधूरा हावय।
चाहे गीता होय चाहे कुरान, चाहे गुरुगं्रथ साहिब होय कि बाइबिल। हर धरमगरंथ जीव के उपर दया करे के ही पाठ सिखाथे। जेकर पठन-पाठन अउ सही जानकारी होय ले मनखे सोझ रद्दा म रेंगथे अउ यदि कांही खातिर कोनो रद्दा भटक जाथे तउन ह सोझ रद्दा म आ जाथे। रोजा अउ उपवास दूनोंं हमन ल आत्मसंयम के संगे-संग इही सिखाथे कि कुछ दिन तो कुछ समे बर भूख अउ पियास के अनुभव करे जाय जेकर से हमन ल दूसर के भूख-पियास के पीरा के अहसास हो सकय। हमन वोकर अंतस के दुख- पीरा ला पहिचान के दूरिहा कर सकन।
तीरथ यातरा अउ हज दूनों अपन-अपन आराध्य से मिले के रद्दा देखाथे। जकात अउ दान दूनों इही सिखाथे कि जेन मनखे ल जरूरत हे वोला अपन सक्ति के मुताबिक दान देय बर चाही। बिहनिया-संझा मंदिर, मस्जिद गुरुद्वारा अउ गिरिजाघर के घंटी, घंटा, मंत्रोच्चार अउ अजान के सुर नइ सुनावय तब तक हमन ल नइ लागय कि हमन भारत देस के रहवासी हरन।

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