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रायपुर

सैनिक के चिट्ठी

कहिनी

रायपुरFeb 26, 2019 / 07:22 pm

Gulal Verma

cg news

सैनिक के चिट्ठी

दाई-ददा, पांव लागी। ददा के तबीयत बने होही। तहूं ह बने हावस, अइसन आसरा मोला हावय। कस्मीर के बारडर म बिक्कट लड़ई चलत हावय। दूनों कोती ले गोला-बारी होवत हे। पाकिस्तान वालेमन ह लुका-लुका के लड़ई करथें। हमन ह निरदोसमन ऊपर गोली नइ चलान। अइसे एकठन लड़ई म मोला गोली लग गे हे। मेहा सेना के असपताल म भरती हंव। थोरकुन देर म मोर आपरेसन होवइया हे। आपरेसन म मेहा जिहूं-मरहूं तेकर कोनो ठिकाना नइये। इही पाय के मेहा पहिलीच चिट्ठी लिखवात हंव। मोर सेवा म एकझन सैनिक भाई हावय। उही ह ऐला लिखत हे।
ददा, मेहा तोला नानकुन म बिक्कट सताय हंव। तोर खांध म एक कोती मेहा अउ दूसर कोती भाई ह बइठ के मड़ई जावन। जाम ल टोरे बर तोर खांध म खड़े घलो हो जांव। ददा, अब नइ सकात हे। पुरातन गोठमन ह अब्बड़ट सुरता आवत हे। हो सकत हे, मेहा अब ए दुनिया म नइ रहंव। उही खांध म तोला मोर अरथी उठा के मरघटी ले जाए बर पर सकत हे। तोर करजा ल मेहा नइ चुका सकेंव। तोला कभु सुख नइ दे पांयेंव। फे र एक गोठ तो हावे। तोर देय सिक्छा ले मेहा एक गोड़ पाछू नइ हटेंव। तेहा जउन बहादुरी अउ ईमानदारी के रद्दा म चले बर सिखाय रहेस, उही रद्दा म चल के मेहा कईझन दुसमन ल मार देंव।
ददा, ए गोठ म तोला गरब होही। जेन असपताल म मेहा आखिरी सांस गिनत हंव, उही असपताल के डाकटर ह बताइस कि मोला इक्कीसठन गोली लगे हे। फे र, मजाल हे कि कोनो गोली पीठ म खाय होहूं। सब्बो गोली मोर छाती म लगे हे। थोरकुन टेम बाद म डाकटर ह मोर ऑपरेसन करही। फे र आपरेसन ह खतरा हावय काहत हे। जीये-मरे के कोनो ठिकाना नइये। फे र, आपमन ह जउन हिम्मत मोला देत आत हो, उही हिम्मत अउ तुहर सुरता म मेहा टिके हंव। तुंहर आसीरवाद ले मेहा बने हो जहूं, अइसे लागत हे। मेहा बने हो जहूं तहान घर आहूं। आपमन ह मया के मारे अइसे झन कहिदेहू कि अब तेहा फे र ड्यूटी म झन जा। इहींचे गांव म खेती किसानी कर। बने होय के बाद मेहा फे र सीमा म जाहूं, अउ दुसमनमन संग बदला लेहूं। हमर सैनिक भाईमन ल लुका के मारे हे, तेकर बदला मोला लेय बर हे। बहिनीमन के मांग ले कहूकू मेटा दिस हे, वो बहिनीमन के भाई बन के बदला ल चुकाय बर परही। नान-नान नोनी-बाबूमन रोवत हावंय। उंकर ददा ल तो मेहा नइ लान सकंव, फ ेर उंकर ददा के दुसमन ल तो मेहा मार सकथंव। आपमन दवई बने टेम ले खात रहिहू। मेहा जीयंव चाहे मरंव चाहे मरों, जादा चिंता झन करहू। भाई ह परिवार ल संभाल लिही। दाई के धियान बने से रखहू।
दाई, मेहा तोर ले बहुतेच दूरिहा म हंव। फे र, अइसे लागत हे कि मेहा तोर गोदी म हंव। वइसे मेहा भारत माता के गोदी म तो हावंव। दाई तेहा जेन बासी-भात खवा के मोला बड़े करेस, वोकरेच सेती मेहा जुुद्ध म घायल होय हंव, मरे नइ अंव। दाई तोर पिलाय दूध के कसम हे, मेहा अतिक बहादुरी ले लड़ेव। जब मेहा घर आय रहेंव त तेहा कहे रहेस न, मोर बेटा ह भारत माता के रक्छा म कोनो कमी नइ करय। वोइसनेच होइस। मेहा घनघोर लड़ई म एक बीता पाछू नइ हटेंव। मोला ए बात के खुसी हावे कि तेहा जउन कसम बहादुरी से लड़े के देय रहेस, वोला मेहा पूरा करेंव। दाई तोर बनाय अंगाकर रोटी के अब्बड़ सुरता आत हे।, जेन ल भाई अउ मेहा अंगना म तुलसी चंउरा करा बइठ के अरसी तेल म डुबो–डुबो के खान। जेन दिन तेहा पाना रोटी बनास वो दिन मेहा तावा म सेंकात रोटी म अंगुरी ले छेदा कर दंव अउ कहांव- इहीच छेदा वालेे रोटी ल मोला देबे।
ददा ल कहिबे जादा चिंता झन करे बर। छोटे भाई ह खेती-खार सब्बो ल संभाल लेही। ए बछर वोकर बिहाव घलो कर देहू। आपरेसन के बाद मोर परान ह बाच गे त मेहा गरमी के छुटटी म वोकर बिहाव कर देहूं। अउ, मर गेंव त मोर बैंक म पइसा जमा हे, वोला निकाल के वोकर बिहाव कर देहू। ददा ह चुप्पा हरे। चुप्पा मनखे ल जादा दुख होथे। तेहा वोकर बने धियान रखबे। अउ तुहूं ह बने से रहिबे। ए जनम के तो बाते ल छोर, सात जनम होत होही, त सातों जनम म मेहा तोर आसरा ले जनम लेय बर चाहहूं।
भाई, मोर डेरी बांहा म गोली लगिस, त तोर अब्बड़ सुरता आइस। इही बांही म तेहा जब नाननुन रहेस त तोला पाय करंव। लहुट के आहूं, ऐकर कोनों ठिकाना नइ हे। तुहींला दाई-ददा अउ भौजी के धियान रखे बर हे। तोर नाननुन उमर अउ नान्हें खांध म अब्बड़ बोझा आ जाही। फेर, मोला बिसवास हे,े सब्बो जिम्मेदारी ल तेहा निभा डरबे। घर- दुवार, खेती-खार सब ल संभालबे। मेहा बड़का भाई अंव तेकर खातिर तोला काहत हंव, तेहा बिहाव कर लेबे। मोर जाय के दुख म बिहाव नइ करंव, अइसन झन सोचबे। जिनगी बड़ेजान होथे, धीर-धीर चलत रहिबे। मोर आसीरवाद अउ मया तोर संग सब दिन रइही।
तोर बर मेहा का लिखंव, समझ नइ आत हे। तोला तो मेहा कुछू दे नइ पाय हंव। दुख-पीरा, परेसानी के सिवाय तोर भाग म कुछू नइयेे। लुगरा अउ चूरी तको तोर बर ढंग से नइ ले पाय हंव। जिहां लड़ई होत रिहिस, उहां बरफ के चोटी हे। बिक्कट हाड़ा ल गला देवइया जाड़ रहिथे। फे र, तोर मया के गरमी ले वोहा सीत हा नइ लागे।
मेहा जिंदा पहुंच पाहूं कि नइ, ठिकाना नइये। जिंदा पहुंच गेंव त ए दारी राजिम के पुन्नी मड़ई तोला लेगहूं। अउ मोर लास ह पहुंचही त त मोर ले एकठन बादा कर, तेहा आंखीं म आंसू झन लाबे। हिरदे म चित्कार उठही, फ ेर मुंहूं ले झन चिल्लाबे। तेहा एकेच भाखा चिल्लाबे, भारत माता की जय। छत्तीसगढ़ महतारी की जय। काबर कि तोर गोसइया ह फ ोकट छाप नइ मरे हे। देस के सेवा म, भारत माता के सेवा म अपन परान ल देत हे।
तेहा सहीद के बिधवा हरस। तोला गरब होय बर चाही कि तोर गोसइया ह छाती म गोली खाइस। पहिली घलो तेहा मोर जगा ल ले डरे रहेस। दाई-ददा के धियान तिहीं राखत रेहेस। फेर, अब जिम्मेदारी जादा बढ़ जही। दाई-ददा संग म भाई के घलोक बने धियान रखबे। मोर मया वोमन ल दे के कोसिस करबे। मरई- जियई के कोनो ठिकाना नइ हे। तोर सुरता म. . . ।

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