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रायपुर

बाम्हन भोज

कहिनी

रायपुरMar 14, 2019 / 07:17 pm

Gulal Verma

cg news

बाम्हन भोज

रमेसर के बबा ह बड़ दिन ले बेमार रहिस। आज वोकर परान छुटगे। घर म रोआई-गवई मात गे। रमेसर ह बड़ गुनी लइका ए। अपन बबा के बड़ सेवा जतन करिस। बड़े-बड़े अस्पताल म अपन बबा के इलाज करवाइस। फेर जेकर भाग म विधाता ह जइसन लिखे हे, वइसन होथे। फेर कहे घलो गे हेे के , जनम-मरन ह तो ऊपर वाला के बस म होथे।
मरनी के जम्मो काम-काज ल वोहा सामाजिक रीति-रिवाज अनुसार करत रहिस। तीज नहावन अउ दशगात्र ह बीत गे। आज तेरही हे। बबा के तेरही म रमेसर ह दार-भात, बरा-सोहारी बनवाय हे। दाई ह पूछिस- बेटा, कुछु मिठई नइ बनवाय हस? रमेसर कहिस – दाई ओ, कोनो हमर अपन मर गे हे त दु:ख होथे। तेहा बता दु:ख म कोनो मिठई बंाटथे? नइ बांटय ना। मरई म मेहा मिठई नइ खवावंव।
दाई कलेचुप बैठ गिस। अब सब के बेवस्था बने होगे, फेर तेराझन बाम्हन नइ मिलत रहय। बाम्हन भोज करवाय बिना सगामन कइसे खाहीं, रमेसर ह सोचत रहय। वोकर गांव म दू परिवार बाम्हन के हे। बाम्हन परवार म तीनझन बाबू लोगन अउ पांचझिन माइलोगन हें। फेर हमर समाज म बाम्हन देवता ल खवाथें। माइलोगनमन ल नइ खवाय के परथा हे
रमेसर ह परेसान होगे। वोहा दूसर गांव के जगन्नाथ मंदिर म गिस त वोला पता चलिस उहां के जम्मो बाम्हनमन अभी दूसर न्योता खा के आय हें। डकारत बाम्हनमन कहिंन – हमर पेट म जघा नइये दाऊ। कोनो दूसर बाम्हन ल नेत दे।
रमेसर उहां ले कुछु सोचत-विचारत चल दिस। वोहा अपन संग बड़ अकन गरीब भिखमंगामन ल सकेल के अपन घर ले अइस। अपन दाई ल कहिस – देख दाई, मेहा कोन पहुनामन ल लानेव हंव। दाई ह निकल के देखिस त अकबका गे। कहिस, बेटा तैं तो बाम्हनमन ल लाने गे रेहेस। फेर, गरीबहा भिखमंगामन ल काबर धर के ले आय हस।
रमेसर कहिस- दाई, बबा के तेरही म पंंडित, बाम्हनमन नइ, बल्कि ए गरीबहा, लाचार, भुखायमन खाहीं त हमर बबा के आत्मा ह सिरतोन म सांति पाही। बाम्हनमन तो खाये-पिए अघाये रहिथें। अइसन सुन के दाई ह खुस होगे। गांव के मन घलो नवा परयास के तारीफ करत रहिन।

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