scriptसवनाही | chattisgarhi sahitya | Patrika News
रायपुर

सवनाही

संस्करीति

रायपुरAug 07, 2018 / 08:01 pm

Gulal Verma

cg news

सवनाही

छत्तीसगढ़ के माटी परब तिहार अउ मनौती के माटी आय। इहां सब के सुनता सुमत अउ खुसाली बर कतकोन उदिम ले सिरजन होथय। गांव के भुइंया म सक्तीपीठ के रूप म सीतला, भूमियरिंन, भईसासुर, सतबहिनी, राउतराय, लिंगो, संहड़ा गउरागुड़ी असन कतको ठउर रहिथे। जिकर पूजा-पाठ अउ मनोउती ले मनखे के मन म धीरज आथे। गांव के पुजारी जेला बइगा कहिथें हुम, धूप अउ पूजा-पाठ ले गांव म कोनो बिपदा झन होवय एकर कामना करथे।
रथदुज के बाद आसाढ़ के आखिरी नइ त सावन के पहिली इतवार के दिन सवनाही मनाय के चलन हावय। सवनाही म गांव के काम-काज बंद रहिथे अउ बइगा ह पूजा पाठ करके सब देवी-देवता के सुमिरन कर के गांव के धन-जन बर मनउती मांगत गांव के खल्हउस (उतार) म सवनाही रेगांथे। नान्हे नांगर गडिय़ा के निमऊ, बंदन, नरियर, हुम, धूप, धजा, फीता, कारी कुकरी, मरकी, मन्द पूजा सामान के रूप म रहिथे।
पूजा म फोरे नरियर ल पूजा म सामिल मनखेमन परसादी पाथं। गांव के मोड़ो ले बाहिरकुकरी ल छोड़थे अउ ऐला पाछु लहुट के नइ देखंय। गांव ल भूत, परेत, जादू-टोना ले बचाय के उदिम करें जाथे।
मानथें के, सावन के सिमसीमात दिन -बादर म जादू-टोना के परकोप बढ़ जाथे। जिकर ले गांव के सुरक्छा, रोग-रार्ई ले बचाव मनखे के संग-संग गाय-गरुवा, गाय खेती-बारी के सुरक्छा के भाव ऐमा रहिथे। गांव-गांव म घर के मोहाटी कोठ म जादू-टोना ले बांचे खातिर गोबर के पुतरी (सवनाही) बनाथें। कहे जाय त धरती म आए बदलाव बर मनखे ल मानसिक रूप ले तैयार करे के भाव ए तिहार म होथे। नवा जग म कतकोन बदलाव होवत हे, फेर गांव के गुड़ी -चउपाल ह हमर परब ल सिरजा के रखे हें।
खेती किसानी म भुलाय मनखे ल आराम कहां!इही सवनाही तिहार के दिन ले किसानी के काम म भुलाय, जांगर तोड़ कमइया किसान बर हफ्ता म एक दिन इतवार के छूट्टी रखे जाथे। जेहा दसेराा के आवत के चलथे। ये दिन म माइलोगिनमन घर-अंगना के जतन, कपड़ा-लत्ता के साफ-सफई, चाउर- दार के बूता ल करथे ं। बाबूमन गांव के गुड़ी म सकला के सियानी-गंवारी के गोठ करत समसिया निपटाय के उदिम करथें। रामधुनी, रमायन ले गांव के मनोरंजन करथें।
हमर ये परब ल भला हमन कुरीति मानथन, फेर हमर पुरखामन ह बिग्यान के जानकार रहिन। उकर उही गियान के दरसन ह हमर तीज-परब म होथे। धरती म आय बदलाव ले चउमासा म रोग-राई,जर जुड़ बढ़ जाथे। गुंगुर-धूप ल घर म गुंगवाथे। हमन भला जादू- टोना के रूप म मानथन, फेर जीवानुनासी के रूप म ऐला बउरथें। तीज-तिहार म रोटी-पीठा मेहनत कस जिनगी म पोसन के पुरती करथे। हमर ये रीत, परब, तीज-तिहारमन हमर चिन्हारी आय जउन ह माटी अउ धरती के रूप ले जुड़े हावय।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो