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रायपुर

मोर संग चलव गा

सुरता म

रायपुरNov 13, 2018 / 06:12 pm

Gulal Verma

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मोर संग चलव गा

छत्तीसगढ़ महतारी के कोरा म जनम लेवइया दुलरवा हीरा बेटा ‘मोर संग चलव गाÓ अमर गीत के गवइया गुरुजी साहित्यकार जन जन के कवि लछमन मस्तूरिया के जनम बिलासपुर जिला के पावन भुइंया मस्तुरी म 7 जून 1949 के मानिकपुरी परिवार म होए रहिस। लछमन मोहन दास दू भाई तीन बहिनी म सबले बड़े रहिस। उंकर बाबूजी के नांव कुंदन दास, दाई समय कुंवर अउ सुवारी के नांव ल नरमदा कहिथे। लछमन मस्तूरिहा के भाई मोहन दास परसिद्ध चित्रकार रहिस। चित्रकारी बर बम्बई तक जावय। लछमन मस्तूरिया के तीनझन बेटा दिनेस, रमेस अउ चंद्रेस हे।
लछमन मस्तूरिहा के सिक्छा मस्तूरी म होए रहिस। बालक रहिस तभे ले गीत गावय। उंकर संग एके कक्छा म पढ़े किरारी गांव के विजय डहरे बताथे कि, लछमन इस्कूल म टेबल ल बजात गीत गावत रहय। संगवारीमन सबो गीत सुने बर झूमे रहय। मस्तूरिहा ‘मोर करिया हंडिय़ा जय होवय तोर गीत ल गावय। उही गीत आगू चल के मोर छत्तीसगढ़ दाई जय होवय तोर बनिस। उंकर हाथ म एकठिन ढोलक रहय, जेला बजावत, गीत गावत रहय। 9वीं पढ़त रहिन उही घानी संत कवि पवन दीवान मस्तूरी आए रहिन। लछमन मस्तूरिया के गीत ल सुन के अब्बड़ परभावित होइन अउ रायपुर बुलवाइन। उहां रामचन्द्र देसमुख संग परिचय करवाइन। रामचन्द्र देसमुख दुरुग जिला बघेरा गांव के रहइया। जब छत्तीसगढ़ के कलाकारमन ल एक मंच अउ लोककला ल जियाए बर ‘चंदैनी गोंदाÓ नांव के संस्था के इस्थापना करे रहिस तव ऐमा लछमन मस्तूरिया जुड़ के छत्तीसगढ़ के माटी के महमहई ल भारत देस के कोंटा-कोंटा म अपन सुर ले बगराए के काम करिस। चंदैनी गोंदा के परमुख गायक बन गइन।
1974-75 म ‘देवार डेराÓ संस्था बर अतिच मिहनत कर सबो देवार गीतमन ल नवा रूप देहे के काम करिन। कोरबा के साहित्यिक कारयकरम म बताए रहिन ‘मंगनी मा मांगे मया नइ मिलयÓ देवार डेरा ले परभावित होके लिखे रहिन। मस्तूरिया के लिखे किताब ‘सोना खान के आगी, छत्तीसगढ़ के माटीÓ परसिद्ध हावय। छत्तीसगढ़ी फिलिम बनाए बर परयास करत रहिन। मस्तूरिहा छत्तीसगढ़ के परसिद्ध राजकुमार कालेज रायपुर म प्रोफेसर के पद म रहि के अध्यापन करत रहिन। सहज सरल सुभाव के अइसन महान कलाकार के बारे म छत्तीसगढ़ी व्याकरन के लेखक मंगत रविंद्र कहिथे, कई जुग म लछमन मस्तूरिया कस कलाकार खोजे म नइ मिलय। लछमन मस्तूरिया चटनी- बासी ल खा लेवय फेर कभु गुमान नइ करिस।
छत्तीसगढ़ के मनखे आन-आन राज म रहिथें, फेर उहां रेडियो म आकाशवानी ले किसानी अउ छत्तीसगढ़ी गीत सुनबेच करथे। छत्तीसगढ़ी गीत जब लछमन मस्तूरिया के परसारित होथे अउ मोर संग चलव रे सुनथे तव मनखेमन झूम जाथे। सबो राज म छत्तीसगढियामन के संगे संग हिंदी भाखा के समझइयामन सुमधुर रसभरी मधुरस गीत ल सुनके गदगद हो जाथे। फरमाइस फरमाइस म घलो लछमन मस्तूरिया ल सुने बर चाहथें।
लछमन मस्तूरिया चंदैनी गोंदा बर सौ डेढ़ सौ ले ऊपर गीत लिखिन। जेमा मोर संग चलव रे, मोर खेती खार रुमझुम मन भंवरा नाचे झूम झूम, चिटिक अंजोरी निरमल छइंहा, बखरी के तुमा नार, तोर खोपा म फुंदरा, वाह रे मोर पड़की मैना, अरपा पइरी के धार, असन कतको कन गीत लिखे अउ स्वर देहे हे। छत्तीसगढ़ के दुलरवा बेटा सुर के राजा गीत म खेती किसानी मिहनत मजदूरी हिरदय ल छुवइया तन मन म उमंग भरइया गीत लिखे अउ सुर लमाए हावय। मोर छत्तीसगढ़ महतारी जय होवय तोर के सुर दसो दिसा म बोहावत हवय। गांव गली सहर सबो के दिल में राज करइया मस्तूरिया 3 नवम्बर 2018 के चुप पर गे। फेर, उंकर अमर गीत छत्तीसगढ़ म गुंजत मीठ अमरित बरसावत रइही।

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