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रायपुर

छोटे देवारी के खुसी हे भारी

परब बिसेस

रायपुरNov 13, 2018 / 06:32 pm

Gulal Verma

cg news

छोटे देवारी के खुसी हे भारी

हमर पुरखामन के बनाय परंपरा ह आज तिहार बार के नांव धरागे हे। तीज-तिहार ह हमर जिनगी म खुसी के रिंगी-चिंगी रंग ल भरथे। तीज-तिहार ह समाज म एकता अउ भाईचारा के गुरतुर चासनी घोरथे। गांव-गंवई म तिहार के अलगेच रंग-ढंग ह दिखथे। सिधवा मनख्ेामन के जिनगी जीये के रंग-ढंग घलो सरल होथे। ‘जेठउनी तिहारÓ ह धारमिक अउ सामाजिक एकता के सुग्घर संदेस बगराथे ।
जेठउनी तिहार ल छोटे देवारी घलो कहिथे। गांव-गंवई म ‘छोटे देवारीÓ के खुसी भारी होथे । जादा जोस अउ उमंग के संग लइका, जवान अउ सियान सब्बोझन ए तिहार ल मनाथें। पुरखामन ले चले आवत सरद्धा अउ आस्था के जेठउनी ह साखी-गवाही बने हावय। जेठउनी के दिन मुंधरहा ले असनान के गांव के बइगा बबा ह गांव देवता ‘सांड़हा देवÓ के बिसेस पूजा-अरचना करथे। सांड़हा देव ले गांवभर के सुरक्छा अउ समरिद्धि के आसीरबाद मांगे जाथे। संगे-संग गांवभर के जम्मो देबी-देवतामन के घलो मान-गउन करके असीस मांगथें।
जेठउनी ल देवउठनी एकादसी तिहार के नांव ले घलो जाने जाथे। चार महीना के बिसराम ले देबी-देवतामन जेठउनी के दिन जागथें। ए दिन ल कोनो भी काम -बुता बर सुभ माने गे हे। जम्मो नवा-नवा कारज के सुरुआत देवउठनी के दिन ले होथे। जेठउनी के आवत ले किसानमन के धान मिंजई के बुता पूरा होय ल धर लेथे। किसानमन मिहनत के सोनहा फर ल कोठारा -बियारा म पा के मनेमन बड़ ख्ुास होथें। अपन इही खुसी ल किसानमन गांव-गांव म मड़ई-मेला के रूप म देखाथें। मड़ई मेला म नाचा-गम्मत, गीत-संगीत अउ खेल-तमासा के सुग्घर बेवसथा करे जाथे।
राउतमन अपन अन्न धन देवइया किसान (मालिक) बर वफादारी अउ मंगल कामना के परदरसन करथें। गाय-गरुवा ल ‘सोहईÓ बांधथें। इही दिन रउतइन म किसानमन के घर के कोठी -डोली अउ कोठा म ‘हांथाÓ लिख के सुख-समरिद्धि के बरदान मांगथें।
संसार के सरी जिनिस म परवरतन होवत हावय फेर हमर जेठउनी तिहार ह आधुनिकता के अतिकरमन ले अछूत हावय। परंपरा के जबर रखवार इही तिहार म देखे ल मिलथे।
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