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रायपुर

छत्तीसगढ़ के अमरीत बटकीभर ‘बासी

लोक संस्करीति

रायपुरDec 24, 2018 / 07:00 pm

Gulal Verma

cg news

छत्तीसगढ़ के अमरीत बटकीभर ‘बासी

तीजनबाई ल पद्मभूसन के बाद ‘फुकुओका एसियाई संस्करीति पुरस्कारÓ मिले के बाद हमन चार संग संगी (राजेस सामंत, राजेन्द्र सोनबोइर, अनिल कामड़े अउ मय याने महावीर अग्रवाल) 6 दिसंबर के दिन बधाई देय बर वोकर गांव गनियारी गेंन। उहां वोकर से गोठ-बात होइस। वोकर जिनगी अउ पंडवानी ल लेके सुवाल घलो पूछेंव।
तीजनबाई ह कहिस- ‘कोनो भी सम्मान के खुसी ल काय बताबे। खुसी ह नेवरिया बहू साही त आय। अपन खुसी ल छोड़ के अउ कुछु नइ सुहाय। जब ले ‘पद्मभूसनÓ के बाद ये दे, नांव घलो लेवत नइ बने। जब ले जापान के ‘फुकुओका पुरस्कारÓ ल झोंक के आय हंव, तब ले खुसी के मारे दार-भात घलो ह नइ खवावत हावय।
तीजनबाई बताइस- मोला ‘बासीÓ के बदला पंडवानी गाए के ताना मारे जावत रहिस। जलनकुकड़ामन के गोठ ल काबर सुनबो? मोर घर म एक टेम सबेझन बासी खाथें। बहुतझन पूछथे-बोलथें- तीजनबाई कुछु नास्ता करे करव, त मेहा बोलथंव- आपमन नास्ता करथव त मेहा बासी काबर नइ खा सकंव? बासी हमर छत्तीसगढ़ के संस्करीति के अंग ए। मोला बासी बहुत मिठाथे। बासी ल जउन खाही उही जानही। मोर बिचार म- बासी ह छत्तीसगढ़ के अमरीत ए। मोर मन म अपन ‘बासीÓ अउ ‘माटीÓ बर अब्बड़ मान हे।
अपन लइकामन ल पंडवानी कायरकरम म संग म लेगे के बारे म कहिस -लइकामन ल संग म नइ लेगततेंव त का करतेंव। काकर करा छोड़ के जातेंव। एक दिन के बात होतिस त कोनो परोसी करा छोड़ देतेंव। मोला तो रोज रतिहा तक ले पंडवानी गाए बर निकले बर रहय। ऐकर सेती मेहा दूनों लइका (सत्रुहन अउ दिलहरन) ल अपन संगे म राखत रहेंव। रोजे कुआं खोदे के काम त रहाय। कुआं खोदा जाय त चटनी संग ‘बासीÓ मिल जाय। नइते लांघन रेहे बर परय। कतके ल बताहूं।
मेला-मड़ई के संग-संग छट्ठी-बरही म घलो बलांय, त मेहा जावत रहेंव। पाटन इलाका म ÓसमधिÓ करा महीनाभर पहिली ले खबर आ जाय। अउ, कुछ होय चाहे झन होय, फेर तीजनबाई के पंडवानी जरूर होय बर चाही। अब्बड़ बिहाव म पंडवानी गाए हंव। दूसरइया नेतवा म फेर खबर आ जाए, बिहाव म कोनो बेवस्था होय के झन होय, फेर तीजन के पंडवानी के कारयकरम जरूर रखहू। तबीयत कमजोरहा रहाय अउ बीमार परे रहंव त कभु-कभु मोला पहुंचे म देरी होगे। एक-दू घांव मंय नइ जा सकेंव, त मोटरगाड़ी धर के आइन अउ मोला बिहाव म गवाय बर लेगे रहिन।
तीजन बाई बताइस- दू कोरी ले आगर छह बछर अउ होगे (बछर 2015 म छिलालिस बछर हो गे हे)। चंदखुरी गांव म घलो बिजली नइ आय रिहिस। चारठन पाटा ला जोडिऩ अउ स्टेज बनादीन। गैसबत्ती के इंतेजाम दाऊजी ह करे रिहिस। चारझन माटी तेल के मसाल घलो जला के घूमत रिहिन। सबेझन ल मोर पंडवानी बहुत बने लागिस। लइकामन अउ माइलोगिनमन अब्बड़ ताली बजाइन। वो दिन भूसन दाऊ ह मोला दस रुपिया इनाम देय रिहिस।
चीफ गेस्ट बना देथें तब इस्कूलमन म जाथंव, तभो लइकामन ल समझाथंव। सुरूज बाई खांडे के ‘भरथरीÓ ल सुन के देखव। कइसे सुग्घर गाथे। मन अउ परान जुड़ा जाथे। हमर लोककलामन म जतेक सुर अउ ताकत हवय, वइसन बात डिस्को म नइये। हमर कलाकारमन के होरी अउ देवारी कभु टरेन (रेल) म होथे त कभु-कभु बिदेस म घलो मनाथंन। गंवई गांव म पंडवानी गावत-गावत मोला ‘पद्मभूसनÓ जइसे महान सम्मान मिल जाही अइसन कभु सोचे नइ रेहेंव। अपन छत्तीसगढ़ राज के नान-नान गांवमन म पंडवानी सुनावत-सुनावत चारोंखुंट घूम डरें हंव। पंडवानी गावत-गावत कलकत्ता, इलाहाबाद, उज्जैन, नागपुर, भोपाल, दिल्ली अउ सरि दुनिया फरांस (पेरिस), स्विटजरलैंड, जरमनी, लंदन, मालटा, साइपरस, ड्यूनेसिया, टरकी, यूरोप, इटली, यमन, बांग्लादेस अउ मारीसस घूम डरे हंव।
‘चिखलीÓ गांव म पंडवानी सुनावत रेगेंव- बान सैया म परे भीस्म पितामह अरजुन ले पानी पिये बर मांगत रिहिस। मेहा अपन बेटा सत्रुहन अउ नाना के बहुतेच सुरता करेंव। उही बेरा म आयोजक ह मोला बताइन- नाना बिरिजलाल (बृजलाल) पारधी नइ रहिस…। मेहा दउड़त-दउड़त नाना के गांव गनियारी पहुंचेंव। मोर ममा ह मोला बताइस- तोर नाना ह उही दिन खतम होगे रिहिस जेन दिन तंय गांव ले रवाना होए रेहे हस। फेर, ए बात ल वोहा अपन जियत ले (कारयकरम के दौरान) हमन ल बताय बर मना करे रिहिस।
दौलत ह कला के नास कर देथे। मेहा पइसा कमाय बर पंडवानी नइ गावंव। पंडवानी गाए के नसा अउ बासी के आगू म सराब के नसा घलो कुछु नइये। मोर उम्मर बीत जाही, फेर मेहा बासी-चटनी खाय बर कभु नइ छोड़ंव। योगासन अउ परानायाम करे ले सरीर के संगे-संग मन ह घलो बने रहिथे। मेहा आजो गांव के माइलोगिन आंव। मेहा सब काम करथंव। धान के मिंजाई अउ ओसाई घलो कर लेथंव। साग राधथंव, चटनी बनाथंव। बासी ल खाके हमन जतेक काम करथन, वोतेक दूसर ह भोजन करके नइ कर सकही। हमर छत्तीसगढ़ राज के आधा ले जादा परानीमन बासी खाथें अउ अपन-अपन रोजी कमाय बर निकलथें।
तीजनबाई ल मिले सम्मान
पद्मसिरी, महिला रत्न, गुरु-सिस्य आचार्य अवार्ड, अहिल्या बाई अवार्ड, नवोदित लोककला संस्थान के ईसुरी सम्मान, पद्मभूसन। जापान म 20 सितम्बर 2018 म ‘फुकुओका एसियाई संस्करीति पुरस्कारÓ। पुरस्कार के अंतरगत 18 लाख रुपिया अउ मानपत्र भेंट करे गिस।

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