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रायपुर

ढीबरी

हमर धरोहर

रायपुरJan 30, 2019 / 07:18 pm

Gulal Verma

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ढीबरी

छत्तीसगढ़ के संस्करीति ह बहुतेच समरिद्ध हे। इहां के मनखेमन अपन जरूरत के सबो किसम के जिनिस ल खुदे बना लेथें। दूसर के अगोरा करत नइ बइठे रहंय। इही किसम ले मनखे ह अंधियार ल दूरिहा भगाय के जतन कतको किसम ले करथे। ऐकर वोहा माटी ले लेके पखना, लोहा, तामा, पीतल, कांसा, सोन अउ चांदी के दीया घलो बनाय हे। ‘माटी के दीयाÓ ल तो सबले आरूग अउ पबरित माने जाथे। ए हमर जीयत-मरत के संगवारी होथे। पीतल के बने दीया ल ढीबरी कहे जाथे। ए दीया ह डोंगरगढ़ के तीर रामाटोला गांव के एकझन देवांगन परिवार म देखे बर मिलिस। अपन बबा पुरखा के समे ले ए ढीबरी के अंजोर म कपड़ा बुने (बनाय) के काम करंय। ऐला इस्कूल के संगरहालय म रखे बर मांगेन त बपुरा ह ‘महादानीÓ बरोबर तुरते हमन ल दे दिस। वोहा कहिस- ‘ले जा ऐला, कतको पढ़इया लइका, गुरुजी अउ लोगनमन देखहीं।Ó ए ढेबरी ह घड़वा कला के एक सुग्घर नमूना ए। ऐला बार के आजो अंजोर पाये जा सकत हे।

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