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रायपुर

मन के पीरा

नानकीन किस्सा

रायपुरFeb 14, 2019 / 07:12 pm

Gulal Verma

cg news

मन के पीरा

आज बिहनिया जुवार चंपा अउ रमेसरी नल मेर पानी भरे के बेरा म संघरिन त चंपा ह रमेसरी ल ठिठोली करत पूछथे- का होइस बहिनी! काली तो तोला देखे बर सगा उतरे रहिस का? रमेसरी वोकर सुवाल के अनमनहा जुवाब देवत कहिथे- हव रे! सगामन आइन। चहा पीइन अउ फोन नंबर मांग के चलते बनिन।
चंपा पूछथे- अई का होगे बहिनी। सुग्घर रूपस म तो बने हस गोई! फेर बारमी किलास तक पढे घलो हस। फेर काबर नखरा मारिस दोगलामन। रमेसरी कहिस-मोर पढ़ई ह मोर जी के जंजाल होगे हे बहिनी। आज काली के टूरामन ह सिरिफ गुटका खाके थूंके बर अउ कान म ईयर फोन गोंज के मुबाइल चपके बर सीखे हे। पढ़ई – लिखई बर गत नइ चलय। आठमी-दसमी फेल से लेके अप्पढ तक ह मोला देखथे अउ जादा पढ़े हे त ऐकर का जांगर चलत होही कहिके सोचत रेंग देंथे। अब बता ऐमे मोर का गलती हे। चंपा ह वोला दिलासा देवत कहिथे- सिरतोन म दीदी! नारी-परानी के दसा भाजी-पाला ले वो-पार होगे हे। हर ऐरा-गेरा ह हमन ल छांट-निमार के चल देथे। अउ, हमन ल आज घलो छेरी-पठरू बरोबर ककरो संग म बरो दे जाथे। पहिली नोनीमन नइ पढय़ तेकर सेती भुगतंय अउ अब पढ -लिख डरे हें, तभो भुगतत हवंय। अइसने मन के पीरा ल गोठियावत दूनोंझन अपन-अपन घर डहर चलदीन।

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