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रायपुर

गुरांवट बिहाव के परथा घलो हे

बिहाव संस्कार

रायपुरMar 14, 2019 / 07:24 pm

Gulal Verma

cg news

गुरांवट बिहाव के परथा घलो हे

छत्तीसगढिया समाज म ‘गुरांवट बिहावÓ के रिवाज हे। ऐमा एक परिवार के नोनी-बाबूमन (भाई-बहिनीमन) दूसर परिवार के नोनी-बाबूमन (भाई-बहिनीमन) से आपस म बिहाव करथें। गुरांवट बिहाव ल कतकोनमन बने नइ मानंय। फेर ए परथा ले दू परिवार मबढिय़ा संबंध बन जाथे। एक डहर ले लइकामन ममा अउ फूफू दूनों के मया ल संघरा पाथें। दूसर डहर ले दादा-दादी, नाना-नानी के दुलार ह घलो भरपूर छलकथे।
मराठी समाज म घलो गुरांवट परथा हे। मराठी समाज म ऐला ‘आटा-पाटाÓ के नांव से जाने जाथे। आस्ट्रेलिया, अमरीका के जातमन म घलो ‘एक्सचेंज मैरिजÓ के नाव से इही परथा म बिहाव होथे। बैग्यानिक अउ आधुनिक बिचारधारा के हिसाब ले गुरांवट बिहाव ह समाज बर बने नोहय। काबर के ऐमा पुरखा ले उतरइया अनुवांसिक बेमारी सुगर, ब्लड परेसर, सिकलिन अउ दूसर आनी-बानी के रोग-राईमन बाढ़ जाथे। गुरांवट बिहाव ल लेके लोगनमन के अलग-अलग बिचार हे। जउन अपन जिनगी ल सुग्घर राजी-खुसी से बीता लेवंय, उही ह सारथक जिनगी कहाथे।

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