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रायपुर

मोहनी दवई

कहिनी

रायपुरMay 28, 2019 / 05:03 pm

Gulal Verma

cg news

मोहनी दवई

लालाजी ह बिहिनिया ले उठ के अखबार पढ़त रइथे। अइसने बेरा म वोला चमत्कारी बाबा के बिग्यापन दिख जथे। जेमा लिखाय रइथे, घरवाली ल बस म करे के मोहनी दवई। कोनो टूरी संग मनपसंद बिहाव, डउकी-डउका म लड़ई – झगरा के निदान। गोसइन ल कठपुतली असन नचाय के सरतीयन बसीकरन अउ सबे समसिया बर उदिम लिखाय रहाय। बिग्यापन ल देख के लालाजी ह खुस होगे। काबर वोकरो गोसइन ह रिसाके अपन मइके चल देहे। रात-दिन के लालाजी के लड़ई-झगरा अउ खटर-पटर ले तंग आके वोकर बाई ह अपन मइके म रइथे। वोकर गोसाइन ह लालाजी संग नइ रहे के बिचार बना ले हे। अपन एक बछर के लइका ल धर के मइके म बइठ गे हे।
लालाजी ह बिग्यापन ल देखके बइगा बाबा तीर जाथे। बइगा बाबा ह कइथे- बेटा तोर समसिया के नास होही रे। पहली जतेक पूजा-पाठ के जिनिस लिखाय हे वोला ले आन अउ देख तोर बिपत ह कइसे उड़ा जही। बइगा बाबा ह वोला सामान के लंबा लिस्ट पकड़ा देथे। जेमा लिखाय रइथे। सात नरियर, नौ नींबू, सादा के सवा दू मीटर कपड़ा, करिया के सवा तीन मीटर कपड़ा, परेतिन दाई ल मनाय बर पांच ठोक लाल रंग के नवा लुगरा, परसाद बर सवा किलो घीव अउ बइगा बाबा के किरिपा बरसाय बर 1151 रुपया। अतका सामान के नांव ल देख के लालाजी के पसीना छूटे ल धर लिस।
फेर का करबे, लालाजी ल अपन बाई ल मनाय ले जियादा बइगा ल मनाय म बिसवास हे। वकील के सलाह ले जियादा चमत्कारी बइगा के सलाह म भरोसा हे। लालाजी ह अपन बाई ल बस म करे बर काय नइ करे हे। सरलग सात सनिच्चर के सनि भगवान ल खुस करे बर उपास, पांच मंगलवार के अपन बाई ल बस म करे बर निरजला बरत अउ दिन-रात पूजा-पाठ, अइगा-बइगा, माला-मुंदरी, मंतर-जंतर, ठुआ-ठोटका अउ का-का उदिम करत हे। फेर अपन गोसइन ल मनाय बर एक बार वोकर घर नइ जावत हे अउ न तो वोकर दाई-ददा से बात करत हे। अब अइसन म वोकर रिसाय बाई ह कइसे मानही।
अब लालाजी बइगा बाबा के बताय जम्मो जिनिस ल धरके आगे। बइगा ह कइथे- बइठ जा बाबू संसो झन कर। अब तोर डउकी ह देखबे कइसे दउड़त आही। बइगा बाबा ह लालाजी ल भभूत दे के कइथे ले बाबू ए मोहनी दवई ल अपन संग म रखे रइबे। अतका काहत बइगा बाबा ह जम्मो सामान ल रख के कइथे अब जा बेटा देखबे एक हफ्ता म तोर बाई ह आ जही।
लालाजी के घर आतेच पोस्टमेन ह कोरट के पेसी के नोटिस थहा देथे। तब लालाजी देखथे वोकर घरवाली ह वोकर खिलाफ केस कर देहे अउ ए महीना के 12 तारीख के पेसी हे। पेसी अउ बइगा बाबा के बात ल लेके दिन अउ रात सोचत रइथे। अइसे-तइसे एक हफ्ता ह बीत जथे। फेर वोकर बाई ह नइ आवय।
लालाजी ह बइगा बाबा कर जाथे अउ कहिथे अभी ले मोर घरवाली के कांही आरो नइये । बइगा कइथे, अरे बाबू कभु-कभार थोक-बहुत देरी हो जथे। तब लालाजी ह कोरट म पेसी के बात ल बताथे।
बइगा कइथे- कोई बात नइ बच्चा, सब ठीक हो जही। मोर पहिचान के एक ठोक नामी वकील हे। वोहा तोर केस ल लड़ दिही अउ ऐती मंतर-जादू घलो चलत रइही। फेर, देख डबल पावर वकील अउ बइगा के। अतका बात ल सुनके लालाजी ल बइगा बाबा के सबो गनित ह समझ आ जथे अउ तरवा ल धर के बइठ जथे।

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