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रायपुर

हीरा सोनाखान के

किताब के गोठ

रायपुरJun 28, 2019 / 05:32 pm

Gulal Verma

cg news

हीरा सोनाखान के

छत्तीसगढ़ी साहित्य म छन्द लेखन के भरपाई ‘हीरा सोनाखान केÓ (खंडकाव्य) करत हवय। पंडित सुंदरलाल सरमा के दानलीला के एक लंबा अंतराल म खंड काव्य आइस। जेन पूरा व्याकरन सम्मत अउ विधान सम्मत हवय। बीच-बीच म खण्डकाव्य के इक्का-दुक्का किताब जरूर आइस, फेर व्याकरन अउ विधान म पूरा खरा नइ उतरिस। मितानजी के ए खंडकाव्य विधान सम्मत अउ व्याकरन सम्मत हवय। जेमा उपमा, अनुप्रास अउ अतिसंयोक्ति अलंकार के सुग्घर परयोग देखे बर मिलिस ।
सहीद वीर नारायन के सौंदर्य (पुरुस सिंगार) के गजब के वरनन मनीराम के काव्य कौसल ल दरसाथे। अनुस्वार अउ अनुनासिक के बहुत ही बारीकी से परयोग करे हवय। खंडकाव्य म परयोग छत्तीसगढ़ी सब्दमन अवइया बेरा म मानकीकरन के आधार बनही।
अनुप्रास अलंकार के परयोग देखव।
तर्र तर्र तुर्रा मार, लाली-लाली लहू धार।
खार-खाय खच-खच, चलै हो के चांद गा।
छेदै छाती जोंग-जोंग, आल-पाल भोंग-भोंग।
सहीद वीर नारायन सिंह के गाथा बरनन म लेखक कुल 21 किसम के छ्न्द, दोहा, रोला, कुंडलियां, अमरीत ध्वनि, सवैया, रूपमाला, गीतिका, आल्हा, त्रिभंगी, उल्लाला, हरिगीतिकाए बरवै, सरसी, सक्ति, चौपाई, घनाछरी, संकर, सार, विसनुपद, छप्पय अउ सोरठा के करे हवय।

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