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रायपुर

पौधा लगइन, फोटो खिंचवई तहां हाथ झररावत रेंगदिन!

का-कहिबे…

रायपुरJul 19, 2019 / 04:29 pm

Gulal Verma

cg news

पौधा लगइन, फोटो खिंचवई तहां हाथ झररावत रेंगदिन!

स ही काहत हस, सियानमन तो नेकी करे के सीख दे हे। फेर, ऐकर आजकाल बहुतेच नुकसान होय बर धर ले हे। ऐकर सेती सबक ए हावय के बने काम ह हरदफे बने नइ होवय। अब देखव न कतेक बछर ले पौधा रोपे के अभियान चले आवत हे। हर बछर हजारों मनखे लाखों पौधा लगाथें, फेर अंगरी म गिने के लइक पौधा ह रूख बन पाथे। फाइदा का होइस? पौधा रोपे के संग वोकर देखभाल, सेवा-जतन करतिन त फायदा होतिस।
कसम से सबले जादा दुख तब लागथे जब कोनो हरियर पउधा ल मुरझावत, उखड़त, मरत देखथन। रूख-राई कमतियाय के नुकसान तो आपमन जानतेच हव- बाढ़त परदूसन, बदलत मउसम, अब्बड़ गरमी, कहुं अकाल, कहुं बाढ़। अब देखव अउ सोचव।
सरकार ह कतकोन बछर ले पौधरोपन अभियान चलावत आवत हे। हर बछर करोड़ों रुपिया खरचा करके लाखों पौधा रोपथे। जइसे सरकार के मंतरी, संतरी, साहेब, नेतामन पौधा लगाथेेंं, वोइसने इस्कूल-कालेज के लइका अउ राजनीतिक दलमन के कारयकरतामन घलो लगाथें। फेर, हमन ल गुस्सा तब लागथे, जब लगाय पौधामन के कोनो जतन नइ करंय। पौधरोपन अभियान म सामिल होइन, पउधा लगाइन, फोटो खिंचवाइन तहां ले हाथ झररावत रेंगदिन अपन-अपन रद्दा। निभालिन अपन फरज। खतम होगे वोकरमन के जिम्मेदारी। एक बछर बर फुरसत।
चलव राजधानी रायपुर के हाल जान लेवव। सड़क चौड़ीकरन अउ सौंदर्यीकरन के खातिर पेड़मन ल काट डरिन। हरियाली बचाय अउ परदूसन रोके के लाख चेतावनी के बाद घलो सासन-परसासन नइ सुधरत हे। बस, विकास के नांव म विनास करे जावत हें। तेकर सेती मनखे के देह ह बीमारी के घर बनत जावत हे अउ सहर ह परदूसन के। राजधानी कस हाल परदेस के जम्मो सहर के होवत हे। कारखाना लगाय, कालोनी बनाय, सड़क बढ़ाय के नांव म रूख-राई के अंधाधुन कटई अउ पौधरोपन के नांव म भरस्टाचार हमर परदेस के नियति बन गे हे। हर बछर हजारों पौधा लगाय के बाद घलो हरियाली घटई ह ऐकर परमान हे।
वाह! का सरकारी नीति हे। रूख-राई कटई अउ पौधा लगई दूनों संगे-संग चलत हे। पौधा लगाय के बाद वोकर रखरखाव, सुरक्छा नइ करे बर हे, त फेर पौधरोपन अभियान चलाय के का मतलब हे? देखेव संगी! अइसे लागथे के, पौधारोपन अभियान ह पढ़इया लइकामन बर तिहार बरोबर होथे त सरकारी अधिकारी-करमचारी अउ नेतामन बर पइसा कमाय के मउका। अजी! का भाठा-मैदान, का सड़क तीर, का सरकारी भवन, जिहां देखबे, तिहां पौधा रोपथेें। हरियर छत्तीसगढ़ जउन बनाय बर हे! अब तक पौधारोपन अभियान म अतेककन पौधा लगाय गे हावंय के वो पौधामन ल पेड़ बनत ले जतन करे रहितिन त आज हमर छत्तीसगढ़ ह घमाघम जंगल बन गे रहितिस। चारों मुड़ा हरियर-हरियर दिखतिस।
जब दिनोदिन परियावरन बिगड़त हे, तभो ले मनखे नइ चेतत हे। घमाघम जंगल ल हेल्ला-पोल्ला करत हें। गांव-सहर सबो डहर रूख-राई ल मड़माड़े काटव हें। पौधा ल पेड़ नइ बनन देवत हें, त अउ का-कहिबे।

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