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रायपुर

सोला आना सहीं

नानकीन किस्सा

रायपुरJul 19, 2019 / 04:43 pm

Gulal Verma

cg news

सोला आना सहीं

सु न तो मनु के बाबूजी, ए काहत भारती ह नरेश के लक्ठा म गीस। पारा-परोस अउ गाव के मन गोठियावत रहिथें के नाइक गुरुजी के जब देखबे तब रैंच-रैं कमई। कभु तो वोकर हाथ रीता रहितिस। का मास्टर ए भई वोहा। तोला कहिथे, मोला बड़ा अल्करहा लागथय। भारती चुप होइस।
नरेस ल कलेचुप मुस्कात देखके भारती ले फेर नइ रहि गीस। सुरु होगे। सुनत हस नइ गुुरुजी। अब कोन ल का कहिबे। ए हमर गोतियारिन दीदी ह काहत रिहिस कि हमर घर मास्टर बाबू ल देखके अइसे लागथे जाना-माना सरकार ह वोला गरमी छुट्टी ल ए डहर ले वो डहर रपोटे बर देये रहिथे। मास्टरी के अहा-अहा तन्खा, तभो ले वोहा किसानी बूता म मुड़ी ल देये रहिथे।
भारती कुछू अउ कहितिस तेकर पहिली ले नरेस ह बेंठ धरावत रापा ल परछी के मुड़की म ओधाइस। कहिस -तहूं ह भारती भला लगे हस। रंग-रंग के गोठियावत हस। कोनो ह कुछू काहय, हमन ला काय करे बर हे। मोला तैं कहिनी ***** सुनावत हस।
देख भारती, इस्कूल म इस्कूल बूता करथंव। अब खाली- पीली काय करहूं। काकरो घर कमाय-धमाय बर तो नइ जावत हंव। अपन खेती-किसानी के काम-कारज ल करत हंव। अउ सबले महत्वपूर्न बात तो ए हे कि इही खेती के भरोसा मोला मोर दाई-ददा ह पढ़इस-लिखईस हे। इही किसानी के परसादे म मास्टरी के नौकरी पाये हंव। बाप-महतारी घलो मोला खेती-बारी ल संभाले बर कहिके गुजरे हें। कों काम-काज करे बर मय काबर संकोच करहूं। का लाज-सरम हे ऐमा। काबर देह चुराहूं कोनो काम-कारज ले। कोनो बिरथा तो नइ करत हंव। सब काम ह काम होथय भारती।
नरेस के गोठ ह भारती ल सोला आना सहीं लागिस। बसुला टेंवत नरेस ल देख के मुस्कावत सुपा-बाहरी धरे वो खोर निकलीस।

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