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रायपुर

समन्वयवादी कवि गोस्वामी तुलसीदास

जयंती बिसेस

रायपुरAug 08, 2019 / 04:37 pm

Gulal Verma

cg news

समन्वयवादी कवि गोस्वामी तुलसीदास

गो स्वामी तुलसीदास भक्तिकाल के सगुनधारा के रामभक्ति साखा के प्रतिनिधि कवि माने जाथे। वोहा एक कवि, भक्त अउ समाज सुधारक के रूप म स्वीकार करे जाथे। वोहा हिंदी साहित्य के गौरव अउ भारतीय संस्करीति के रछक कहे जा सकत हे। वोकर ह रचना ह भारतीय धरम अउ आस्था के परतीक बन गे हावय। तुलसीदासजी ल देस-बिदेस के आलोचकमन मुक्त कंठ ले बढ़ई करे हावय।
तुलसीदासजी जनम अउ अस्थान के बारे म लोगनमन के कई मत हावय। हिंदी के इतिहासकार डा. ग्रियरसन के अनुसार तुलसीदासजी के जनम बछर 1532 (संवत् 1589) म उत्तरपरदेस के बांदा जिला के राजपुर गांव म होय रहिस। वोहा सरयूपरायन बाम्हन रहिन। वोकर ददा के नाव आत्माराम दुबे अउ दाई के नाव हुलसी रहिस। तुलसीदासजी बचपना ह बहुत कठिनाई म बितीस। वोकर दाई-ददा ह वोला मूल नछत्र म जनमे के कारन तियाग दिहिस। सेस सनातजजी की किरपा ले बेद, पुरान, उपनिसद, दरसन ल खूब पढि़स। कहे जाथे के तुलसीदासजी अपन गोसाइन बर अब्बड़ मया करत रहिस। फेर, जब वोकर गोसाइन ह वोकर, अपन उपर आसक्ति ल देखिस त वोला फटकारिस। तेन मेर ले तुलसीदासजी के जीवन दिसा ही बदल गे। वोहा अपन जीवन ल राम के भक्ति म लगा दिस। संवत् 1680 याने बछर 1623 म इंकर देहांत होगे।
नागरी परचारनी सभा कासी ह इंकर परमारिक रचनामन ल परकासित करे हावय, जेहा ए परकार ले हे- रामचरित मानस, रामलला नहछु, बैराग्य संदीपनी, बरवै रामायन, पारवती मंगल, जानकी मंगल, रामाज्ञाप्रस्न, दोहावली, कवितावली, गीतावली, सिरी किस्न गीतावली, बिनय-पत्रिका, सतसई, छंदावली रमायन, कुंडलिया रमायन, राम सलाका, संकट मोचन, करखा रमायन, रोला रमायन, झूलना, छप्पय रमायन, कबित्त रमायन, कलिधरमाधरम निरूपन, हनुमान चालीसा।
‘एन साईक्लोपिडिया ऑफ रिलीजन एंड एथिक्सÓ म घलो हिंदी साहित्य के इतिहारकार डा.ग्रियरसन ह ए पहली बारह रचना के बरनन करे हावय।
राममचिरतमानस परबंध काब्य के आदरा प्ररस्तु करथे त दूसर कोती बिनय-पत्रिका ह मुक्तक सैली म रचे गे सबसे बढिय़ा गीति काब्य हे।
तुलसीदासजी के काब्य के सबसे बड़े बिसेसता समन्वय के भावना ए। उंकर काब्य म समन्वय के बिराट चेस्टा हे। अपन समन्वयवादी नजरिया के कारन ही तुलसीदासजी लोकनायक के आसन पर आसीन हावय। तुलसीदासजी ल लोकनायक भी कहे गे हावय।
हजारी परसाद द्विवेदी उंकर बारे म लिखथे के ” लोक नायक वही हो सकत हे जो समन्वय कर सके, काबर के भारतीय जनता म नाना परकार के परस्पर बिरोधी संसकिरिती, साधना, जाती, आचार निस्ठा अउ बिचार पद्वति प्रचलित हावय। बुद्व देव समन्वयवादी रहिस। गीता म समन्व्य के चेस्टा हे अउ तुलसीदास जी घलो समन्वयकारी रहिन।

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