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रायपुर

करजा

कहिनी

रायपुरOct 14, 2019 / 04:14 pm

Gulal Verma

करजा

करजा

ले तीजा-पोरा लटठागे। जइसन तीजा-पोरा तिहार ह लटठाथे मोला नोनी के सुरता आथे। नोनीमन ल तीजा लेबर कब जाबे बेटा, जा लिवा ल। फगनी ह अपन बेटा बुधराम तीर कहिस।
त बुधराम तमक के कहिस.- ले ते कहिथस त लिहाय बर जाहूं, फेर बिहाव अउ छट्टी के करजा ह अभे मुंडी म हवय। रात- दिन फिकर म नींदो घलो नंदागे हे। हमन मुधरहा ले बुढ़ती ले कमई करथन तभो ले करजा हर छूटाय नइये। बियाज ऊपर बियाज ह बाढ़त हे। ऐला छुटत बूढ़ा जाबो तइसने लागथे। फेर जे बखत बहिनीमन आथे त वोकरमन बर कपड़ा-लत्ता, लुगरा, जेवर गांठा अउ वोकरमन के सब्बो सुवांग ल पूरा करथस। तहां ले वोकरमन के जाय के बेरा अथान, पापड़, बरी-बिजौरी जम्मो पकवान ल जोरथस अउ महिना दू महिना माई-पिला के खरचा पानी ल उठाथस।
फगनी अपन बेटा के गोठ ल सुन के कोंदी ***** होगे। मन म गुने लगिस- काय करंव, नोनी बियाय हवव त वोकर करजा ल त छूटे ल त परही। जम्मो सामान ल नोनीमन के ससुरार नइ पठोहूं त उहां वोमन फूल कस कइसे रइहीं। नोनीमन बर दाई-ददा के घर ह ओरी के छांव ताय। उंकर सरी जिनगी तो ससुरारे म पहाथे।
अपन भाई के गोठ ल सुनके जूली ह किहिस- दाई मेह तोर सबले छोटकी नोनी आंव। देखबे तोर जम्मो करजा ल मेहा छुटा दुहूं। तेहा कोनो चिन्ता-फिकरझन कर। मेहा आगू पढ़ई-लिखई करके तोला अउ भाई ल सुख दुहूं। फगनी कहिस – नोनी तेहा नोनी जात आस। दूसर घर म सोभा पाबे। कतकोन पढ़ावन-लिखावन फेर तोर बिहाव ल करबे करबोन अउ तोर गोठ-बात के लाज ल राखे बर परही। जूली किहिस- दाई आज जमाना बदल गे हवय। देख मेहा बारहवीं पास होगे हंव। फेर तीन बछर कालेज पढ़हूं अउ नउकरी मोर लगबे करही। देखबे तब तुहंर जम्मो करजा ह छुटा जाही।
जूली के गोठ ल सुनके बुधराम मन म गुने लगिस- आज सिरतोन मेहा थोरकुन पढ़ई-लिखई करे रहितेंव त मोरो आज नउकरी लगे होतिस। मजूरी म त पूरता नइ परय। अपने परिवार ल पोसे के बड़ उदिम करे ल परथे। मोर जम्मो संगवारी मन पढ़ई-लिखई करिन त नउकरी पागे हवय अउ अपन कुटुम संग मजा म हवय। आज मेहा अपन बहिनीमन के मइके आय के गोठ म दाई ले अब्बड़ रिसागे हंव। बहिनीमन तो भाई के मया हरय, खुसी हरय।
आज छोटकी जूली के गोठ ह मोर आंखी ल खोल दिस। सिरतोन बहिनीमन, नोनीमन मइके-ससुरे दूनों ल तारथें। दूनों बर मया पिरित राखथे। इही बिचार-गोठ म भुलाय बुधराम ह मन म ठानिस के अपन छोटकी बहिनी ल आगू अब्बड़ पढ़ई कराहूं। वोहा आगू जेन करे बर चाही, वोला करन दुहूं। वोहा हमर पुरखा ल तारही।
उही बेरा दाई के उकारा ल सुन के बुधराम अपन काम- बूता बर घर ले बाहिर कोती रेंग दीस।

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