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रायपुर

दूसर के हाथ म होथे किरकेट खिलाड़ीमन के खेलई!

का-कहिबे…

रायपुरOct 16, 2019 / 04:20 pm

Gulal Verma

दूसर के हाथ म होथे किरकेट खिलाड़ीमन के खेलई!

दूसर के हाथ म होथे किरकेट खिलाड़ीमन के खेलई!

मितान! आजकाल के लइकामन दूसर खेल के नांव भले झन जानंय फेर किरकेट के नियम, खिलाड़ीमन के नांव, कोन खिलाड़ी कतेक रन बनाय हे, कोन ह कतेक विकेट झरराय हे, कोन टीम जीतिस, कोन हारिस जम्मो ल दू के पहाड़ा कस एके सांस म बता देथें। कोनो टीम ह जीतिस त काबर जीतिस अउ हारिस त काबर हारिस तेने ल कोनो बिसेसग्य कस फोर-फोर के बता डरथें।
मितान! किरकेट म एक चीज गजब होथे। जउन खिलाड़ी ह बढिय़ा खेलते तेन ल अराम करे बर कहि देथें। जबकि हमन सुने हंन के ‘अराम ***** हेÓ।
सिरतोन! एक पइत एकझन खिलाड़ी ह कहिस- मेहा अभी जादा मेहनत कहां करे हंव, जेमा मोला अराम देय बर धरलीस? अराम फरमाय बर कहइया ह कहिस- दू मैच खेल डरे हस, अब तोला अराम करे बर चाही। वोहा कहिस – फेर मेहा तो बने रन बनावत हंव। फील्डिंग घलो बने करत हंव, कैच ल घलो नइ छोड़त हंव। फेर मोला अराम काबर देवत हें? चयनकरता कहिस- ऐकर सेती के तेहा अतेक अच्छा खेलत हस। यानी अपन पूरा दमखम तेहा लगावत हस। अब तोला अराम करे बर चाही।
खिलाड़ी कहिस- मेहा रन नइ बनावत रहितेंव, कैच घलो छोड़त रहितेंव, त का मोला ए मैच म संघारे जातिस? टीम चुनइया कहिस- नइ… तब तो तोला अराम के अउ जादा जरूरत होतिस। अराम सिरिफ देह भर के नइ होवय, दिमाग के घलो होथे। अब बने खेलत रहिथें, त देह म थकान होथे यानी अराम जरूरी हे। अउ जब बने नइ खेलत रहय त दिमागी रूप से थके रहिथें, यानी अराम नइ, डबल अराम के जरूरत हे।
खिलाड़ी कहिस- फेर, मोला घलो तो लगे बर चाही के थक गे हंव अउ मोला अराम चाही। मेहा तो तरोताजा हंव, सरलग आठ मैच खेल सकत हंव। चयनकरता बोलिस- इही तो बात हे! खिलाड़ी ल खेले के नसा होथे, तब वोला इहू सुरता नइ रहय के वोकर देह ह कोनो जगा चोट घलो लगे हे। ए नइ कहत हंव के खिलाड़ीमन अपन चोट-जख्म ल लुकाथें-छिपाथें, फेर इहू सच हे के वोला अपन चोट के बारे म घलो पता नइ रहय। वोला जब मैदन ले उठाके लाय बर परथे, तब समझ म आथे के कि चोट कतेक जादा रिहिस।
खिलाड़ी कहिस- आखिर आपमन का कहे बर चाहत हव? वोहा बोलिस – इही के जब खिलाड़ी ल अपन देह के पीरा के घलो पता नइ रहय, त वोकर से ए उम्मीद कइसे करे जा सकत हावय के वोहा खुद कह दे के मेहा थक गे हंव। खिलाड़ी कहिस – अइसन कइही त वोला सदा दिन बर घर बइठा देहू। वोला बोलिस- तेकरे सेती कहत हंव के अराम कर ले, तेहा बहुतेच थक गे हस! हमर कहे म अराम कर ले, त आगू घलो खेलत रहिबे। बरना सदा दिन बर अराम हो जही। बोल- थके हस के नइ, अराम चाही के नइ। मुड़ धरके खिलाड़ी कहिस- हव, मेहा बहुतेच थक गे हंव। यदि एक मैच घलो अउ खेल लेहूं त मेहा घायल हो जहूं। मोला अराम के बहुचेत जरूरत हे। इही म मोर भलई हे।
जब अनिस्चितता के खेल किरकेट म खिलाड़ीमन के कैरियर अउ मैच म खेलई-चुनई ह घलो अनिस्चित होगे हे। खिलाड़ीमन के भाग ह चयनकरतामन के हाथ-बात ऊपर निरभर होथे, त अउ का-कहिबे।

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