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रायपुर

जब सावन के सुरसुरी फूटथे

महीना बिसेस

रायपुरJul 06, 2020 / 06:05 pm

Gulal Verma

जब सावन के सुरसुरी फूटथे

जब सावन के सुरसुरी फूटथे

सावन के सुरता आते मन म उमंग के सुरसुरी फूट परथे। परकरीति (प्रकृति) के जवानी चारोंखुंट जब लहलहाथे तब मनखे के रूआं-रूआं कुलके अउ हुलसे लागथे। इही हुलसना अउ कुलकना ह हमर संस्करीति के साज बन जाथे, सिंगार बन जाथे।
भुइंया के मूल संस्करीति म सावन महीना के बड़ महात्तम हे। ये महीना ल सिव उपासना के महीना घलो कहे जाथे। सिरिस्टि (सृष्टि) म सुरू होए के बाद देवतामन के अरजी करे ले परमात्मा ह इही महीना के पुन्नी तिथि म अपन पूजा के परतीक के रूप म तेज रूप म जम्मो बरम्हांड म संचरे विराट रूप के परतीक स्वरूप सिव ***** के परादुरभाव करे रहिसे। इही महीना के अंजोरी पाख के पंचमी तिथि म वोकर सबले परमुख गन जे हमेसा वोकर घेंच म आसन पाथे, वो नाग देवता के घलो जमन होए हे। जेकर सेती हमन नाग पंचमी के रूप म उंकर सुरता अउ पूजा करथन।
परमात्मा के एक रूप परकरीति ल घलो माने जाथे अउ परकरीति के अद्भुत रूप, सिंगार घलो ह ये सावन म देखने-देखन भाथे। ये महीना म झड़ी-बादर, तरिया- नदिया के घलो अइसन रूप होथे के मनखेमन ऐती-वोती जवई ल छोड़ के एके तीर बइठ के पूजा -उपासना के मुद्रा म आ जथें। माने हर दिरिस्टि (दृष्टि) ले सावन परमात्मा के उपासना खातिर उपयुक्त लागथे। बोल बम के जयकारा पूरा महीनाभर सुने ल मिलथे। जेती देखौ साधक रूप के सिंगार करे कांवरियामन अपन-अपन छेत्र के पवित्र नदिया-नरवा के जल लेके अपन-अपन छेत्र के सिद्ध सिव स्थल म जाके वोला समरपित करथें। अध्यात्म म परमात्मा ल पाए के तीन रस्ता बताए गे हे। गियान रस्ता, भग्ति रस्ता अउ साधना रस्ता। सावन म ये तीनों रस्ता एके संग देखे ले मिलथे।
सिव के परमुखगन नागदेव के परादुरभाव इही सावन के अंजोरी पंचमी म खुद भोलेनाथ अपन जेवनी हाथ ले करे रिहिसे। वोकरे सेती वोहा ऐकर जम्मो काम म जेवनी हाथ के भूमिका निभाथे। जिहां कहूं सिव उपासना होथे, वोकर मदद खातिर सबले पहिली इही जाथे। सेसनाग के सिरिफ पांच फन होथे। इहू बात ह जाने के लाइक हे। ये पांचों फन ह भोलेनाथ के दाहिना हाथ के पांचों अंगरी के परतीक आय। सेसनाग के संबंध म जेन सैकड़ों-हजारों फन के कथा मिलथे वो मनगढ़ंत अउ अतिसयोक्ति आय।
सावन पुन्नी के दिन जेन रक्छाबंधन के तिहार मनाए जाथे वोहा सिरिफ भाई-बहिनी के रक्छा के तिहार नोहय, भलुक जम्मो जीव-जगत के रक्छा परब आय। काबर ते परमात्मा इही दिन अपन पूजा के परतीक देके जम्मोझन के सुरक्छा अउ सुख-सांति के आसीस अउ वचन दे रिहिन हे।
इहां ये जानना जरूरी हे के, उपासना के फल हर उपासक ल मिलथे। ऐकर प्रक्रिया अंजोरी-अंधियारी पाख के आधार म मिलथे। अंधियारी पाख म हमर रद्दा म जेन अवरोधक तत्व होथे, वोला हटाए के बुता होथे अउ अंजोरी पाख म फेर वो फल जेकर उपासना खातिर साधना करे जाथे, वोहा मिलथे। ये सब ह एके दिन या महीना म नइ मिल जाय। जइसे-जइसे कारज होथे, वोकर मुताबिक वोतका दिन तक धीरज रखे के जरूरत होथे।

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