देस, समाज म ये कइसे ‘सुनामीÓ आ गे। भारतीय संस्करीति-संस्कार ल छोड़े के कइसे ‘दउड़Ó सुरू हो गे। का बात ये के समाज म नैतिक पतन होवत हे। काबर दिनोदिन चरित गिरत जावत हे। जेन ल देख-सुन के सिधवा, ईमानदार, चरित्रवान, नैतिकवान, संस्कारवान मनखे डररा गे हें। ये का समे आ गे हे। नारी ल देबी मनइया भारतीय संस्करीति-समाज म नारी के सबले जादा दुरगति होवत हे।
का होगे के आज नारी ह न घर म सुरक्छित हे, न बाहिर। ये कइसे समे आ गे हे, नारी के इज्जत न परिवार म बाचत हे, न समाज म। दुनियाभर ल संस्करीति-संस्कार के उपदेस देवइया ‘भारतभूमिÓ म संस्करीति बचाय के गोहार लगाय बर परत हे। का सचमुच म ‘कलजुगÓ के बादर छा गे हे, जउन ह अब बरसे बर तइयार हे? आजकाल के ‘हालÓ ल देख के तो ऐहा सिरतोन कस लागथे, त अउ का-कहिबे।