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रायपुर

सच डहर ले आंखीं मूंदे के किरिया खाय हें!

का-कहिबे…

रायपुरAug 01, 2018 / 07:54 pm

Gulal Verma

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सच डहर ले आंखीं मूंदे के किरिया खाय हें!

सहीच म, कवि-गीतकार गोपलदास नीरज ह ‘मेरा नाम जोकरÓ फिलिम के गाना म जिनगी के जम्मो सार-सच ल लिखे हे। ‘ए भइया हो, थोकिन देखके चलव, आगूच नइ, पाछू घलो, जेवनिच नइ, डेरी घलो, उपर डहरेच नइ, खाल्हे घलो। तेहा जिहां आय हस वोहा तोर घर, गांव, गली, खोर, रद्दा, बस्ती नोहय। ऐहा दुनिया हे। इहां सबो बरोबर हे। जेन आय हे, वोला जाय बर परथे। रोवत आय हव, रोत्तेच जाहू। इहां ककरो बसेरा नइये, न तोर हे, न मोर हे। फेर, ए बात ल कोनो धरय नइ, मानंय नइ। सब अइसे बेवहार करथें, जइसे अम्मर हें। सरी दिन इहें रहे बर हे।
अब देख लव, मनखे जइसे चालाक-मतलबी जीव कोनो नइये। अपन कुकरम ल लुकाय खातिर वोहा एक ले सेक बहाना खोज लेथे। सादा परदा बना लेथे। सबले बड़का परदा हे- धरम। धरम के नांव म ए दुनिया जब ले बने हे, तब ले आज तक करोड़ों मनखे के कत्लेआम, लाखों माइलोगिनमन से अतियाचार करे हे। अरबों नान-नान लइकामन ल खत्म कर दे हे। अनगिनत घर ल भुररी बार दे हे। कतकोन मनखे ल गुलाम बनाय गिस। अइसन करम सबो धरम के लोगनमन करिन, तभो ले मनखेजात नगारा-ढोल बजा के अपनआप ल संसार के सबले संस्कारवान, होसियार, बुद्धिमान, दयावान, नैतिकवान, धरम परायन, सिद्धांतवादी परानी कहिथें। अइसे लागथे के लोगनमन ए मान ले हावंय के अपन धरम, जात, दल, समाज, परिवार के करे गलत काम ह घलो कानून के मुताबिक हे अउ दूसर बर भयंकर अपराध।
बात सिरिफ धरम-करम, जात-पात अउ लालच-सुवारथ भर के नइये। मामला तो सच डहर ले आंखीं मूंदे के किरिया खाय हें!अंधबिसवास के घलो हे। हमर देस म तो अंधभगतमन के कमी नइये। एक खोजबे त हजार मिल जही। देखे हव ह! कानून अउ समाज के नजर म गुनहगार, अपराधीमन जेल म हें, फेर वोमन ल ‘भगवान, गुरु, महात्मा, संत, बाबाÓ कहइया-मनइयामन के कमती नइये। परमात्मा अउ आत्मा के बीच म अइसन ‘ढोंगीमनÓ भगती-धरम-करम के आड़ म मन, धन अउ तन तीनों ल लूटत हावंय। तभो ले समाज ह सबकुछ जानत-सुनत-देखत घलो आंखीं मूंदे रहिथे। ये भइया हो, हमन ल जउन बात अपन भगवान ले कहे बर हे, वोला सिद्धो कहि देय बर चाही, बीच म कोनो दूसर ल नइ लाय बर चाही। भगवान अउ भगत के बीच म कइसे परदा। परदेच के आड़ म करिया करम पनपथे।
अंधबिसवास भर के बात घलो नोहय। असल समसिया तो मनखे के अपन गलती नइ माने के हे। एक तो अपन गलती नइ मानंय, उपर ले अपन दोस-गलती ल दूसर के मुड़ म खपल देथे। दूसर ल गलत बताय लगथे। सरकारमन के घलो इही हाल हे। अपन गलती ल पहिली वाले सरकार के नीति के दोस बता के बुलक जथें।
नीरजजी ह जिनगी के सच ल लेके बहुत अकन गीत-कविता लिखे हें। जब लोगनमन कवि सम्मेलन, फिलिम ल महज मनोरंजन अउ टाइपपास के साधन समझथें। कविता के किताब ल सकेले-सजाय के जिनिस मानथें। गाना-कविता, फिलिम म बताय सच्चाई ले सीख नइ लेवंय, त अउ का-कहिबे।

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