फोकट छाप पेपर पढ़हइया
दुनिया में किसिम-किसिम के मनखे होथे। जेमे एक किसिम ‘फोकट छाप पेपर पढ़हइयाÓ मन के तको होथे। फोकट के जिनिस खाए बर, फोकट के जिनिस पाए बर हर घड़ी अइसन मनखे मन के जीभ हर लपलपावत रहिथे। लाज-सरम अउ जस-अपजस से ऐमन ल कोनो लेना-देना नइ राहय। फोकट छाप मनखे मन बर सरी दुनिया म इही कहावत चल पड़े हे कि ‘बेसरम सदा सुखीÓ।
फोकट छाप पेपर पढ़इया रेलगाड़ी अउ बस म बहुत मिलथे। प्रतीक्छालय म तको अइसन फोकटिया परानी अब्बड़ मिलथे। पाछु बुधवार के बात आय जब मेहर दुरुग ले रायपुर जाय बर लोकल रेलगाड़ी म यातरा करत रहेंव। उही बेरा म एकझीन पेपर बेचईया अइस। वो बेचारा गरीब पूरा डब्बा म घूम-घूम के नरी फाड़-फाड़ के पेपर ले-लो, पेपर। ताजा समाचार पढ़े बर पेपर लो कही-कही के वोहर चिल्लावत रहिस। फेर कोनो यातरी के कान में जंूआ नइ रेगींस। बड़े फजर मोला पेपर पढ़हे के आदत हावय। तेन पाय के मेहा अपन खिसां ले दू रूपिया निकाल के एक ठीन पेपर बिसा लेव। मेहा पेपर का बिसायेव फोकट छाप पेपर पढ़इया मन के तो जानो-मानो लाटरी लग गे। मेहा पेपर के पहिली पन्ना ल पढ़हे बर सुरू करे रहेव तभे मोर बाजू म बइठे एक झिन फोकटिया सज्जन बोल पडि़स- भाई साहब, बीच का पन्ना देंगे क्या ? वोकर मांग ल पूरा करत मेहा पेपर के एक पेज वोकर हवाले कर देंव। तभे मोर आगू के सीट मं बइठे एकझिन हीरोमुहा टूरा बोलिस-प्लीज अंकल, खेल पेज मुझे दे दीजिए।
अइसनेहे फोकट छाप पेपर पढ़हइया मन के चक्कर म पड़के मे सीधवा मनखे पेपर के एक-एक पन्ना ल सतनारायन भगवान के परसाद कस बाटत चल देंव। आखिर म मोर हाथ म एको पनना नइ बाचिस। काबर कि जउन एक पेज ल अपन पढ़हे बर बचाके राखे रहेंव, ओहुला मोर आघु सीट म बइठे एकठिन बेंदरीमुही मेमसाहब हर गिधवा कस झपट्टा मार के ले लीस अउ मंदरस कस बोली म बोलिस- मेरा स्टेसन आने वाला है, पहले मैं पेपर पढ़ लेती हूं, आप तो बाद में आराम से पढ़ सकते हैं। थैक्यू।
संगवारी हो, रेलगाड़ी जइसे-जइसे आघु बाढ़त जात रहिस उही ढंग से सरपट्टा मोर पेपर के पन्ना मन फोकट छाप पेपर पढ़हइया मन के एक हाथ ले दूसर हाथ, दूसर हाथ ले तीसर हाथ जात चलेगीस। आखिर म ये दसा होगे कि पेपर के असली मालिक कोन आय तेला बतइया कोनो नइ बांचिस। एकझिन फोकट छाप पेपर पढ़हइया हर तोर हद कर दीस। वोहा चना ***** खा-खाके मोर पेपर के पन्ना म फो कला ल जमा करे लागीस। वोकर ये हरकत देखके मोर आंखी ललीयागे। दांत कटकटावत मेहा कहेंव- अरे भाई साहब, पेपर दे दीजिए, ये पढऩे के लिए है न कि चना ***** के कचरा जमा करने के लिए।
मोर बात ल सुनके वो फोकटिया ह बिगड़ैल सांड बरोबर मोरे ऊपर गरज उठीस। वो बोलिस -देखो मिस्टर, मुझे समझाने की कोसिस मत करो, जिस आदमी से मैं पेपर लिया हंंू वह तो इसे छोड़कर पिछले स्टेस न में ही कब का उतर चुका है। वोकर बात सुनके मेहा हैरान रहीगेंव। मोला अइसे लागिस जानो-मानो तरिया म धरे कोतरी मछरी मोर हाथ ले बिछल गे हावय। मन मार के हाथ मलत मेहा अपन पेपर के बाकी पन्ना के दसा-दुरदसा देखे मं जुटगेंव।
एकझन फोकटिया ह पेपर म छपे सिक्छाकरमी भरती के बिग्यापन ल काटत रिहिस। तभे मोला सुरता आगे कि मोर बड़की बेटी तको सिक्छाकरमी बर आवेदन करइया हे। मेहा झट ले वोला रोकेव अउ बोलेव -भाई जी, ये विग्यापन मेरे काम का हैं, इसे काटिए मत। मोर बात ल सुनके वोहर आंखी गुरेरत के कहिस- ठीक है न, आपके काम का है तो अगले स्टेसन में इसकी फोटो कापी कराकर आपको दे दूंगा, कम से कम मानवता के नाते थोड़ा धीरज तो रखे, मैं चलती गाड़ी से कूद कर भाग तो नहीं जाऊंगा। आगू स्टेसन मं गाड़ी रुकिस त वो फोकटिया ह पेपर के फोटो कापी कराये के बहाना लेके उतर गे। गाड़ी छूट गे फेर वोहा लहुट के नइ आइस। ये सब ल देखत मोर मुड़ पीरा गे। दूनो हाथ म मेहा मुड़ धर के सोचे लागेव के फोकट छाप पेपर पढ़हइया मन बर जब पेपर हर अतेक काम के जिनिस आय त भगवान ह वोमनला पेपर बिसाय के दिमाक काबर नइ देवय? इही सोचत-सोचत मेहा गांठ बांध लेंव के अब कभु बस-रेलगाड़ी म पेपर बिसाय के गलती नइ करंव।
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