इसके कारण इनकी जांच में काफी समय लगता है। यही नहीं साइंटिफिक अफसरों की कमी भी प्रयोगशाला पर भारी पडऩे लगी है। राजधानी में हर साल एक हजार करोड़ से अधिक के दवाओं का कारोबार होता है। सीजीएमएससी के अफसरों के अनुसार सेंट्रल ड्रग लैबोरेट्री (सीडीएल) ने छत्तीसगढ़ के ड्रग सैंपल की जांच करने पहले ही हाथ खड़ा कर दिया था। सीडीएल ने स्पष्ट कह दिया है कि राज्य पहले अपनी लैब में सैंपल की जांच करे, हम सिर्फ रेयर केस में जांच कर सकते हैं।
अफसरों के मुताबिक जांच में उपयोग किए जाने के वाले उपकरण काफी पुराने हो गए हैं। इससे आधे से अधिक दवाओं की जांच नहीं हो पा रही है। ड्रग लेबोरेट्री में सेटअप के अनुसार रिक्त पदों की भर्ती नहीं किए जाने से कई दवाओं की जांच प्रभावित हो रही है। इसका खामियाजा लोगों को बिना जांच वाली दवा खाकर भुगतना पड़ रहा है। प्रयोगशाला में दवाओं की गुणवत्ता को परखने का जिम्मा राज्य खाद्य एवं औषधि प्रशासन का है। ड्रग विभाग के पास प्रदेशभर में 81 ड्रग इंस्पेक्टर हैं, लेकिन लैबोरेट्री में दवाओं के सैम्पल जांचने के लिए एक्सपर्ट की कमी है। इसके कारण जांच रिपोर्ट के लिए महीनों इंतजार करना पड़ रहा है।