पत्रिका से बातचीत में डॉ. दत्त ने कहा कि संचालनालय ही अब तक काउंसिलिंग करवाता आ रहा था। एमडीएस की काउंसिलिंग से चिप्स को शुरुआत करनी थी, मगर उन्होंने नहीं की। हमें उम्मीद थी कि एमबीबीएस, बीडीएस और एमडी-एमएस की काउंसिलिंग से वे शुरुआत करेंगे। मगर, उन्होंने इससे भी फिलहाल असहमति जताई है। हालांकि नर्सिंग की काउंसिलिंग करवाने के लिए चिप्स ने संचालनालय से डेटा मांगा है, जो दिया जा चुका है। इस मामले में भाजयुमो प्रदेश अध्यक्ष अमित साहू का कहना है कि चिप्स द्वारा काउंसिलिंग की तैयार नहीं कर पाना छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है।
पारदर्शिता रहे, इसलिए लिया गया था निर्णय
चिप्स से काउंसिलिंग करवाने के पीछे वजह पारदर्शिता बताई गई थी। क्योंकि बीते कुछ वर्षों में कई बार मेरिट सूची कई तकनीकी कारणों से रद्द करनी पड़ी थी। मामले कोर्ट तक पहुंचे थे। चिप्स तकनीकी रूप से सक्षम है, इसलिए उसे जिम्मेदारी दी गई थी।