READ MORE : जानिए छत्तीसगढ़ के इन 10 गांव में अभी तक क्यों नहीं पहुंचा कोरोना, लोगों ने बताई ये बड़ी वजह स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी, डॉक्टर और
चिकित्सा विशेषज्ञ मान रहे हैं कि लॉकडाउन का फैसला 20-22 अप्रैल को होता तो हालात इतने नहीं बिगड़ते। आज संक्रमण पर नियंत्रण की जितनी जिम्मेदारी सरकार की है, उतनी हम और आपकी भी। क्योंकि केंद्र सरकार ने कोरोना की तीसरी लहर की आशंका जता दी है। इसलिए संभलकर रहें। पूरी सावधानी बरतें। क्योंकि हम पहली लहर के जाने के बाद यह मान चुके थे कि
कोरोना खत्म हो गया मगर कोरोना ने ऐसी वापसी करवाई कि आज 8,500 जानें जा चुकी हैं और 8 लाख से अधिक लोग संक्रमित हो चुके हैं।
इन कारणों से नियंत्रण में दिख रही स्थिति
लॉकडाउन – संक्रमण अनियंत्रित होता देख सरकार ने आखिरी विकल्प के तौर पर लॉकडाउन का सहारा लिया। प्रदेश में पहला लॉकडाउन 6 अप्रैल को दुर्ग में लगा और उसके बाद अधिकांश जिलों में 9 अप्रैल से। तब से प्रदेश लॉकडाउन में है। नतीजा यह हुआ कि संक्रमित व्यक्ति घर पर रहे, इनसे संक्रमण नहीं फैला। रोजाना मिलने वाले मरीजों की संख्या अब कम हो रही है। रायपुर, दुर्ग में तो हालात नियंत्रण में हैं।
READ MORE : द्रोणिका का असर : सुबह हल्की बारिश, अंधड़ और आकाशीय बिजली गिरने की चेतावनी टेस्टिंग बढ़ाई – अप्रैल में औसतन हर रोज 50,000 सैंपल जांच हो रही थी। मई में औसतन 56,800 टेस्ट हो रहे हैं। 6, 7, और 8 मई को 61 हजार से अधिक जांचें हुईं। टेस्ट अधिक होने से अधिक लोगों की जांच संभव हो पा रही है। जिससे रिपोर्ट आने से तुरंत इलाज मिल जा रहा है। संक्रमण के फैलाव की संभावना कम हो रही है।
दवा किट का वितरण- गांव-गांव में सरकार कोरोना लक्षण वाले मरीजों की पहचान कर उन्हें मितानिन, एएनएम और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के जरिए दवा बंटवा रही है। सरकार का दावा है कि इससे राज्य में गंभीर मरीजों की संख्या में कमी आई है।
राज्य- कुल एक्टिव महाराष्ट्र – 615783
कर्नाटक – 564485 केरल – 423512
उत्तर प्रदेश – 233981 राजस्थान – 200189
आंध्रप्रदेश – 190632 तमिलनाडू – 144547
गुजरात – 139614 छत्तीसगढ़ – 126547
पश्चिम बंगाल – 126547
निश्चित तौर पर अप्रैल की तुलना में मई में संक्रमण में गिरावट देखी जा रही है। लोग पहले की तुलना में बीमारी के प्रति ज्यादा गंभीर हुए हैं। केंद्र की तरफ से कोरोना की तीसरी लहर को लेकर अभी कोई सूचना नहीं आई है, मगर हम सबको इस प्रकार सतर्कता बरतनी है कि तीसरी लहर न आए।
– डॉ. सुभाष मिश्रा, प्रवक्ता एवं संचालक, महामारी नियंत्रण कार्यक्रम, स्वास्थ्य विभाग