नगरीय प्रशासन विभाग की ओर से जारी आदेश में नगर पालिकाओं और नगर पंचायतों में 22 मनोनीत पार्षदों को बदल दिया गया है। इन पार्षदों की नियुक्ति निकाय चुनाव से पहले हुआ था। इनकी नियुक्ति को लेकर कांग्रेस पार्टी के भीतर विवाद की स्थिति बनी थी। कई निकायों में ऐसे लोगों को पार्षद बना दिया गया था, जो संगठन से नहीं हैं। जनता कांग्रेस के कुछ लोगों के पार्षद मनोनीत होने पर स्थानीय कांग्रेस नेताओं ने भारी नाराजगी जताई थी।
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नगर निगम, नगर पालिकाओं में दो तरह के पार्षद होते हैं। सामान्य तौर पर पार्षद मतदाताओं द्वारा सामान्य मतदान प्रणाली से चुने जाते हैं। सरकार भी एक निश्चित अनुपात में किसी व्यक्ति को पार्षद मनोनीत कर सकती है। सिद्धांत के तौर पर ऐसा व्यक्ति कला, साहित्य, विज्ञान, लोक सेवा, खेल अथवा तकनीकी क्षेत्र का विशेषज्ञ होना चाहिए। लेकिन सामान्य तौर पर यहां राजनीतिक लाभ-हानि की दृष्टि से नियुक्तियां होती हैं।
मनोनीत पार्षद निकाय की सामान्य सभा में भाग ले सकता है। बहसों में हिस्सा ले सकता है। उसे मतदान का अधिकार नहीं होता। जनता द्वारा सीधे चुने गए पार्षदों की तरह उनके लिए भी पार्षद निधि की व्यवस्था है। वे उसे शहर में कहीं भी विकास कार्यों पर खर्च कर सकते हैं। वे निकाय को सलाह दे सकते हैं।