‘पत्रिकाÓ पड़ताल में सामने आया कि आबादी के हिसाब से बड़े राज्यों ने शुरुआत से ही ऐसी रणनीति पर काम किया कि आज उन राज्यों का रिकवरी रेट 70 से 80 प्रतिशत के बीच जा पहुंचा है, यानी एक्टिव मरीज कम रह गए हैं। छत्तीसगढ़ के साथ इसका उल्टा है। यहां पहले रिकवरी रेट 78.2 प्रतिशत तक जा पहुंचा था, अब आधा रह गया है। कहीं न कहीं संक्रमण को रोकने की रणनीति फेल हुई है। एक समय तो ऐसा भी था कि राज्य को कोरोना फ्री घोषित होने की चर्चा भी शुरू हो चुकी थी। आज प्रदेश में 37 हजार से अधिक एक्टिव मरीज हैं। अकेले राजधानी रायपुर में 12 हजार। आज स्थिति यह है कि जांच करवाने वाला हर ७वां व्यक्ति संक्रमित मिल रहा है।
इन कारणों से बढ़ा संक्रमण मजदूरों की वापसी। रूस, किर्गिस्तान और अन्य देशों से लौटने वाले मरीजों के होटल में क्वारंटाइन होने, संक्रमित पाए जाने और फिर बड़ी संख्या में होटल स्टाफ का संक्रमित होना। अस्पतालों में भर्ती मरीजों में, अस्पताल में मौजूद वायरस से संक्रमित होना। फेरीवालों से मंगलबाजार जैसा हॉट स्पॉट बनना, जहां 140 से अधिक लोग संक्रमित मिले। इन सभी कोरोना महामारी अधिनियमों का पालन नहीं किया, लापरवाही बरती और संक्रमण फैलता चला गया।
रायपुर के हर मोहल्ले में पहुंचा कोरोना राजधानी रायपुर के हर मोहल्ले, वीआईपी कॉलोनियों, दफ्तर, अस्पताल, स्लम बस्तियों से कोरोना संक्रमित मरीज मिल चुके हैं। सबसे ज्यादा चिंताजनक हालात रायपुर के ही हैं। रोजाना औसतन 700 मरीज रिपोर्ट हो रहे हैं।
इन राज्यों में छत्तीसगढ़ से ज्यादा एक्टिव मरीज महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश, तमिलनाडू, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश ऐसे राज्य हैं, जहां एक्टिव कोरोना मरीजों की संख्या छत्तीसगढ़ से कहीं ज्यादा है। जानकार मानते हैं कि अगर, इन राज्यों में संक्रमण में कमी आए तो देश के हालात में सुधार दिखेगा। स्वास्थ्य विभाग के प्रवक्ता एवं संयुक्त संचालक डॉ. सुभाष पांडेय ने बताया कि मजदूरों और विदेशों से छात्रों की वापसी और फिर स्थानीय स्तर पर कोरोना संक्रमण का फैलाव हुआ है। सितंबर अंत या अक्टूबर के शुरुआती हफ्तों में संक्रमित मरीजों की संख्या में कमी आनी चाहिए।
1,000 से अधिक एक्टिव मरीज वाले जिले जिला एक्टिव मरीज
रायपुर 9999
दुर्ग 4166
राजनांदगांव 3041
बिलासपुर 2968