कुछ खास मौकों पर गेट के बाहर औषधि के पौधों का वितरण होता रहा है, लेकिन पहली बार वाहन बेचने वाली एक निजी कंपनी ने बैंक कर्मचारियों और अधिकारियों के साथ मिलकर गेट डी के बाहर बकायदा टेंट लगाया और कर्मचारियों को रोक-टोककर इस बात की समझाइश दी कि जीवन में चार चक्के की गाड़ी का कितना महत्व है। वाहन कंपनी और बैंक अधिकारियों की जबरिया टोका-टाकी से कर्मचारी आक्रोशित दिखाई दिए।
छत्तीसगढ़ मंत्रालीयन कर्मचारी संघ के अध्यक्ष कीर्तिवर्धन उपाध्याय ने मंत्रालय को मार्केटिंग का अड्डा बनाए जाने पर विरोध जताया। उन्होंने कहा कि प्रदेश के मंत्रालय को बेहद संवेदनशील माना जाता है। मंत्रालय के बाहर न तो सर्कस का तंबू ताना जा सकता है और न ही दुकानदारी के लिए मीना बाजार खोला जा सकता है। कीर्तिवर्धन ने कहा कि मंत्रालय जनता के कामकाज को आसान बनाने के लिए है। इसे मार्केटिंग के अड्डे में बदल देना घातक हो सकता है।
वाहनों की मार्केटिंग के लिए अनुमति देने वाले रजिस्ट्रार भगवान सिंह कुशवाहा ने बताया कि उन्होंने बैंक वालों को महज इस बात की अनुमति प्रदान की थीं कि वे कर्मचारियों को ऋण सुविधा के बारे में जानकारी देंगे। उन्हें नहीं मालूम था कि कंपनी वाले गेट के बाहर अपनी गाडयि़ां भी खड़ी कर देंगे।
गौरतलब है कि गेट डी के बाहर सुरक्षाकर्मियों का तगड़ा घेरा रहता है। इस गेट से ही मंत्रालय के अधिकांश कर्मचारी और अधिकारी आवाजाही करते हैं। सुरक्षागत कारणों से गेट डी के बाहर निजी वाहनों की पार्किंग भी प्रतिबंधित है। कर्मचारियों का आक्रोश इस बात को लेकर ही था कि आम जनता को इस गेट से प्रवेश के दौरान न केवल मुसीबत बल्कि जिल्लत का भी सामना करना पड़ता है लेकिन जब व्यवसाय की बात आई तो सुरक्षा की तमाम बातों को धत्ता बता दिया गया।