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रायपुर

OMG! खौफ के साए में जी रहा है ये शहर, रात के अंधेरे में बढ़ जाता है इनका आतंक

रायपुर इन दिनों एक अजीबोगरीब समस्या से जूझ रहा है। सूरज ढलते ही इनका आतंक बढ़ जाता है, एेसे में यहां के लोग खौफ के साए में जीने पर मजबूर हैं।

रायपुरNov 11, 2017 / 05:29 pm

Ashish Gupta

Insects attack
रायपुर . राजधानी रायपुर के लोग इन दिनों एक अजीबोगरीब समस्या से जूझ रहे हैं। सूरज ढलते ही इनका आतंक बढ़ जाता है, एेसे में यहां के लोग खौफ के साए में जीने पर मजबूर हैं। दरअसल, पूरा शहर भूरा माहू कीट के आतंक से परेशान है। लोग इनसे बचाव के लिए तरह-तरह के तरीके अपना रहे हैं।
आमतौर पर खेतों में फसल कटाई के दौरान पाए जाने वाले भूरा माहू कीट (ब्राउन प्लांट हॉपर) अब राजधानी में बड़ी संख्या में पहुंच चुका है। कृषि विवि के वैज्ञानिक भी कीटों के इस प्रकोप से आश्चर्यचकित है। पिछले साल से दोगुनी संख्या पर प्रारंभिक पड़ताल में जानकारी सामने आई है कि इस वर्ष फसल कटाई के ठीक पहले दिवाली के नजदीक बारिश के साथ-साथ मौसम में तब्दीली की वजह से माहू की संख्या दोगुना हो गई।
फसल कटाई के पहले माहू खेतों में रहता है। जैसे ही धान कटाई शुरू होती है, यह कीड़ा प्रकाश की ओर भागने लगता है। फोटोट्रॉफिक यानी प्रकाशवर्ती होने की वजह से बिजली की ओर आकर्षित होता है। यही वजह है कि राजधानी के १० किमी. के भीतर भाठागांव, सेजबहार, डूंडा, अमलेश्वर, अमलेश्वरडीह, खुड़मुड़ा, खुड़मुड़ी, झीट, गुमा, रायपुरा, कुम्हारी, नया रायपुर, माना में फसल कटाई के दौरान यह कीट अब राजधानी तक पहुंच रहा है।
माहू के कारण फसल को भारी नुकसान: कृषि विवि के वैज्ञानिकों का मानना है कि माहू के कारण इस वर्ष धान की फसल को काफी नुकसान पहुंचा है। सही समय पर दवाइयों का छिड़काव करने वाले किसानों को ही इससे राहत मिल पाई है। यह कीट धान की बालियों में चिपके रहते हैं, वहीं थोड़े ही दिनों में धान की खेती में बीजों को नष्ट कर देते हैं।
शाम 6 से रात 8 बजे तक ज्यादा प्रकोप
कृषि विवि के वैज्ञानिकों के रिसर्च में जानकारी सामने आई है कि शाम ६ बजे से रात्रि ८ बजे तक कीटों का प्रकोप सबसे अधिक होता है।
अभी 20 दिन और रहेगा असर
ग्रामीण और अर्धशहरी इलाकों में फसल कटाई शुरू हो चुकी है। वैज्ञानिकों का कहना है कि माहू कीट का प्रकोप 15-20 दिन और बने रहने की संभावना है।
तापमान कम होने पर ज्यादा बढ़ती है संख्या
मौसम में तापमान कम होने पर इनकी संख्या में कमी आती है है, वहीं तापमान में वृद्धि से यह खेतों से दूर भागते हैं।
घरों में रात को लाइट करना पड़ रहा बंद
ऑफिस और घरों में अब लोग जरूरी लाइट्स ही चालू कर रहे हैं। लोगों को घरों में भी परेशानी हो रही है।
आंखों में होती है जलन
कृषि विवि के वैज्ञानिकों का कहना है कि माहू कीट के पैर कटीले व काफी पतले होते हैं। आंखों में जाने के बाद पैर टूटकर आंख में ही रह जाने की वजह से रगडऩे पर आंखें लाल हो जाती है, जबकि कीड़ा बाहर निकल जाता है।
दवाइयों ने नहीं किया काम
माहू कीट को भगाने के लिए इस वर्ष किसानों ने कीटनाशकों का प्रयोग किया, लेकिन पिछले वर्ष से ज्यादा संख्या और ताकतवर होने की वजह से किसानों को खास फायदा नहीं हुआ।
कीट विज्ञान विभाग के प्रमुख वैज्ञानिक संजय शर्मा ने कहा कि इस वर्ष माहू कीट का प्रकोप पिछले वर्ष से दोगुना है। अक्टूबर महीने में बदली और बारिश की वजह से खेतों में इसका प्रकोप बढ़ गया। फसल कटने के बाद प्रकाशवर्ती होने की वजह से यह शहरों की तरफ आ रहा है।
ये बरतें सावधानी
1. आंखों को रगडऩे के बजाय साफ पानी से धोएं, ज्यादा तकलीफ होने पर डॉक्टर से संपर्क करें।
2. रात में सफर के दौरान नाइट विजन चश्मे का प्रयोग करें।
3. राजधानी से दूर ग्रामीण इलाकों के सफर के दौरान विशेष तौर पर हेलमेट जरूर पहने।

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