गौरतलब है कि यह दोनों ट्रेने सप्ताह में केवल दो दिन ही चलती है। इन दोनों ट्रेनों के फेरे बढाने को लेकर एक प्रस्ताव रेल मंत्रालय के पास लम्बे समय से लंबित पडा है लेकिन उस पर कोई कारवाई नहीं हो रही है। इसी तरह से अंबिकापुर से यूपी के पूर्वांचल को जोडऩे के लिए रेलवे लाइन का प्रस्ताव एक दशक से लटका हुआ है।
बेतवा एक्सप्रेस को लेकर जनता की आम शिकायत रहती है कि कई कई बार इसे कानपुर स्टेशन पर घंटों यार्ड में खडा कर दिया जाता है। नौतनवा एक्सप्रेस समेत यूपी के तमाम रूटों पर चलने वाली ट्रेनों की औसत स्पीड अधिकतम 28 किमी प्रति घंटे हैं जिससे यात्रियों को भारी दिक्कत का सामना करना पड़ता है। यूपी जाने वाली सभी ट्रेनों में रिजर्वेशन एक बड़ी समस्या है। अभी गर्मी की छुट्टियां शुरू हो चुकी है लेकिन किसी भी ट्रेन में सीट मिलना संभव नहीं है। कमोबेश यही हाल सारनाथ और गोरखपुर गोंदिया का भी है, आलम यह है कि वाराणसी इलाहाबाद जाने वाले तमाम यात्री बसें बदल बदल कर यात्राएंकर रहे हैं।
रायपुर डिविजन के डीआरएम राहुल गौतम ने कहा कि ट्रेनों के फेरे बढ़ाने को लेकर हम लोगों की कोशिशें कम काम करती है जनप्रतिनिधियों के प्रस्ताव और जनता की मांग ज्यादा मायने रखती है।